केदारनाथ मंदिर के कपाट 17 मई को सुबह पांच बजे खुलेंगे, 14 को उखीमठ से जाएगी डोली

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केदारनाथ मंदिर (kedarnath mandir) के कपाट 17 मई को सुबह 5 बजे खोल दिए जाएंगे। इससे पहले 14 को उखीमठ से चल विग्रह डोली निकलेगी।

केदारनाथ धाम के गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर (omkareshwar mandir), उखीमठ में ही शीतकालीन पूजा होती है। यह नाम उत्तराखंड के चारधामों और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

आपको बता दें कि हर साल शिवरात्रि (shivratri) पर ही केदारनाथ मंदिर (kedarnath mandir) के कपाट खोलने की तारीख तय की जाती है।

उत्तराखंड के तीन अन्य धाम बद्रीनाथ के कपाट 18 मई को और गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट अक्षय तृतीया (14 मई) को खोले जाएंगे।

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ की ओर से संबंधित जानकारी दी गई है।

चल विग्रह डोली 14 मई को फाटा, 15 मई को गौरीकुंड (gaurikund), 16 मई की शाम डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। 17 की सुबह केदारधाम के कपाट खोल दिए जाएंगे।

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शिवरात्रि पर ओंकारेश्वर मंदिर में रावल भीमांशंकर लिंग भी उपस्थित थे। कपाट खोलने की तारीख घोषित करने से पहले की पूजा वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल ने की। इस साल बागेश लिंग को केदारनाथ धाम का पुजारी नियुक्त किया गया है।

शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता के अनुसार बद्रीवन में विष्णुजी के अवतार नर-नारायण ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर तपस्या की थी।

उनके तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने वर मांगने के लिए कहा। तब नर-नारायण ने वर मांगा कि शिवजी हमेशा इसी क्षेत्र में रहें।

शिवजी ने यहीं रहने का वर दिया और कहा कि ये जगह केदार क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध होगी। इसके बाद शिवजी ज्योति स्वरूप में यहां के शिवलिंग में समा गए।

कहा जाता है कि यहीं पर शिवजी ने पांडवों को भी दर्शन दिए थे। ये मंदिर करीब एक हजार साल पहले आदिगुरु शंकराचार्य ने बनवाया था।

मंदिर 3,581 वर्ग मीटर की ऊंचाई पर और गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर स्थित है। स्कंद पुराण में केदारखंड नाम का अध्याय है। इसमें भी केदारनाथ की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है।

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