छुटनी महतो : तांत्रिक के बहकावे में गांव वालों ने डायन कहा, पीटा, जंगल में रहीं, पर हार नहीं मानी
1 min readझारखंड (jharkhand) की छुटनी महतो (chutni mehto) को पद्मश्री (padam Shri) अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें कभी डायन बता गांव से निकाल दिया गया था।
उन्हें न केवल प्रताड़ित किया गया, बल्कि घर से बेदखल भी कर दिया गया था। पति ने भी उनका साथ छोड़ दिया।
हालत यह थी कि उन्हें आठ महीने बच्चों के साथ पेड़ के नीचे रहना पड़ा। लेकिन तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद छुटनी ने हार नहीं मानी।
आज वह अन्य महिलाओं के लिए शक्ति का प्रतीक बन गई है। छुटनी महतो (chutni mehto) आज सरायकेला (saraykela) खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड की बिरबांस पंचायत के भोलाडीह (bholadeeh) गांव में रहती हैं।
आज वे गांव में ही पुनर्वास केंद्र चलाती हैं। जिसमें एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) सहयोग करती है।
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छुटनी बताती हैं कि शादी के 16 साल बाद 1995 में एक तांत्रिक के बहकावे में आकर गांव वालों ने उन्हें डायन मान लिया था।
इसके बाद उन्हें मल खिलाने की कोशिश की गई और पेड़ से बांधकर पिटाई की गई। जब लोग उनकी हत्या की साज़िश रच रहे थे, वे पति को छोड़ चारों बच्चों को साथ ले गांव छोड़कर चली गईं।
इसके बाद आठ महीने तक वे जंगल में रहीं। गांव वालों के खिलाफ मुकदमा करना चाहा, लेकिन पुलिस ने भी उनकी कोई मदद नहीं की।
इसके बाद उन्होंने लगातार संघर्ष किया और अपनी जैसी 70 पीड़ित महिलाओं का एक संगठन बनाया, जो अब डायन बताने वालों और अंधविश्वास फैलाने वालों के खिलाफ लड़ाई लड़ता है।
उन्हें कहीं ऐसे मामले की सूचना मिलती है तो उनकी टीम मौके पर पहुंच जाती है। आरोपितों और अंधविश्वास फैलाने वाले तांत्रिकों पर एफआईआर कराती है।
वे पीडि़ता को अपने साथ ले आती हैं और कानूनी कार्रवाई के बाद पीड़ित की सशर्त घर वापसी कराती हैं।
जरूरत पर कोर्ट में भी उनकी लड़ाई लड़ती हैं। आपको बता दें कि छुटनी महतो अब तक 100 से अधिक महिलाओं की घर वापसी करा चुकी हैं। उनका संगठन आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में भी लड़ाई लड़ता है।