राकेश टिकैत : किसान हितों की लड़ाई में 44 बार कर चुके जेल यात्रा

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किसान आंदोलन का केंद्र अब गाजीपुर बॉर्डर बन चुका है।  भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh tikait) पर आज हर निगाह है।

क्या आप जानते हैं कि किसानों के अधिकार (rights of farmers) की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं।

जी हां, राकेश टिकैत (Rakesh tikait) मध्य प्रदेश में भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ हुए आंदोलने के चलते राकेश टिकैत को 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था।

Rakesh tikait गाजीपुर बार्डर पर धरने के दौरान। (फाइल फोटो)
Rakesh tikait गाजीपुर बार्डर पर धरने के दौरान। (फाइल फोटो)

इसके अलावा कुछ साल पहले दिल्ली (New Delhi) में संसद भवन (parliament house) के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने पर उन्हें तिहाड़ जेल (tihar jail) भेज दिया गया था।

आपको बता दें कि राकेश टिकैत (Rakesh tikait) का जन्म मुजफ्फरनगर (muzaffarnagar) जिले के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। वे देश के बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं।

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राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष अजित सिंह (Ajit Singh) ने वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अमरोहा (amroha) सीट से राकेश टिकैत को टिकट भी दिया था। अलबत्ता, वे जीत नहीं सके।

अब पढ़ाई पर आते हैं। राकेश टिकैत (Rakesh tikait) ने मेरठ यूनिवर्सिटी (meerut University) से एमए (MA) की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी (LLB) भी किया है।

राकेश टिकैत सन् 1992 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल (constable) की नौकरी करते थे।

1993-1994 में जब दिल्ली में पिता महेंद्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh tikait) की अगुवाई में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उन्हें पिता पर आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाने को कहा गया।

इस पर वे नौकरी छोड़ अपने पिता और भाइयों समेत किसानों के साथ खड़े हो गए। आपको बता दें कि राकेश टिकैत की शादी वर्ष 1985 में बागपत जिले के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी। इनके एक पुत्र चरण सिंह दो पुत्री सीमा और ज्योति हैं।

पिता महेंद्र सिंह टिकैत बालियान खाप से संबंध रखते थे। महेंद्र सिंह टिकैत की कैंसर से मौत के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन (BKU) का अध्यक्ष बनाया गया।

राकेश टिकैत यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता। लेकिन अधिकांश फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं। यह कई बार झलका भी है।

बता दें कि 1987 में बिजली के दाम को लेकर शामली (shamli) जिले के करमुखेड़ी (karmukhedi) में महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई में एक बड़ा आंदोलन चला था।

इस दौरान हुई हिंसा में किसान जयपाल और अकबर पुलिस की गोली मारे गए थे। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन का गठन हुआ और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को इसका अध्यक्ष बनाया गया था।

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