वसंत देसाई ने रचा था ऐ मालिक तेरे बंदे हम, लिफ्ट के हादसे में हुई थी मौत
1 min readआपने ऐ मालिक तेरे बंदे हम…गीत तो सुना ही होगा। इसे रचा था वसंत देसाई (vasant Desai) ने। इसे कई स्कूलों में प्रार्थना के तौर पर भी शामिल किया गया था।
इन्हीं वसंत देसाई (vasant Desai) की 9 जून, 2021 को 109वीं जयंती है। भारतीय सिनेमा के इस महान संगीतकार का जन्म 9 जून, सन 1912 को गोवा (Goa) के कुदाल नामक स्थान पर हुआ था।
आपको बता दें कि उन्हें बचपन से ही संगीत में बहुत दिलचस्पी थी। रूचि थी। वर्ष 1929 में वसंत देसाई (vasant Desai) कोल्हापुर (kolhapur) आ गए।
इसके ठीक एक साल बाद 1930 में उन्हें प्रभात फ़िल्म्स (prabhat films) की मूक फ़िल्म (silent movie) खूनी खंजर में एक्टिंग का चांस मिला।
सन् 1932 में उन्होंने अयोध्या का राजा फिल्म में संगीतकार गोविंद राव टेंडे के सहायक का जिम्मा संभाला।
उन्होंने इस फ़िल्म में एक गाना जय जय राजाधिराज… भी गाया। इसके दो साल बाद 1934 में अमृत मंथन फिल्म आई। इसमें उनका गाया गीत बरसन लगी बहुत लोकप्रिय हुआ।
वसंत देसाई को असल कामयाबी तब मिली, जब उनकी मुलाकात वी. शांताराम से हुई। यह 1943 का साल था।
वी. शांताराम अपनी फ़िल्म शकुंतला के लिए संगीतकार तलाश रहे थे। उनकी तलाश वसंत देसाई पर खत्म हुई।
इस फ़िल्म ने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए। इसके बाद शांताराम की दो आंखें बारह हाथ के संगीत ने धूम मचा दी। इसमें भी वसंत देसाई छा गए। ऐ मालिक तेरे बंदे हम इसी फिल्म का गीत था।
शांताराम की मराठी फ़िल्मों के संगीतकार के रूप में भी वसंत देसाई ने ख्याति अर्जित की। लोकशाहीर रामजोशी (1947), अमर भूपाली (1951) और इये मराठीचिये नगरी (1965) ऐसी ही फिल्में रहीं।
इसमें से एक फिल्म अमर भूपाली का निर्माण बांग्ला भाषा में भी हुआ था, जिसका संगीत भी वसंत देसाई ने ही दिया।
वी. शांताराम के बैनर राजकमल कला मन्दिर की फ़िल्मों से हटकर अन्य प्रोडक्शन हाउसेज की फ़िल्मों में भी वसंत देसाई ने शानदार म्यूजिक दिया।
मसलन 1946 में आई मास्टर विनायक की सुभद्रा, 1953 में रिलीज सोहराब मोदी की झांसी की रानी, 1958 में आई एआर कारदार की फिल्म दो फूल, 1959 में रिलीज अजीत चक्रवर्ती की अर्द्धांगिनी और विजय भट्ट की गूँज उठी शहनाई।
इसके अलावा बाबूभाई मिस्त्री की सम्पूर्ण रामायण (1961), विजय भट्ट की राम-राज्य (1967), ऋषिकेश मुखर्जी की आशीर्वाद (1968) एवं गुड्डी (1971) के साथ ही अरुणा-विकास की शक़।
22 दिसंबर, 1975 के दिन काल के क्रूर हाथों ने इस जीनियस संगीतकार को संगीत प्रेमियों से अलग कर दिया।
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पूरा दिन रिकार्डिंग करने के बाद घर जाने के लिए अपनी बिल्डिंग की लिफ्ट में सवार हुए वसंत देसाई की जान लिफ्ट की तकनीकी खराबी ने ले ली।