Bhagat Singh को फांसी से पहले सेंट्रल जेल में एक खत मिला था, जानिए उसमें क्या लिखा था

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वह 22 मार्च 1931 का दिन था। क्रांतिकारी भगत सिंह (bhagat singh) सेंट्रल जेल में बंद थे। इसी बीच उन्हें एक खत मिला।  जानते हैं उसमें क्या था?

वीरेंद्र सिंधु (virendra sindhu) की किताब ‘सरदार भगत सिंह-पत्र और दस्तावेज’ में इसका ब्योरा दिया गया है। वह लिखते हैं कि वह खत लाहौर की सेंट्रल जेल में ही 14 नंबर वार्ड में रहने वाले बंदी क्रांतिकारियों ने भगत सिंह के पास भेजा था।

इस खत में क्रांतिकारी बंदियों ने लिखा था-‘सरदार, इन घड़ियों में भी कुछ हो सकता है। यदि आप फांसी से बचना चाहें तो बताएं।’

जानते हैं भगत सिंह (bhagat singh) ने इस खत का क्या जवाब भेजा? उन्होंने लिखा-‘साथियो, ज़िंदा रहने की ख़्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मेरा ज़िंदा रहना मशरूत है। मैं कैद होकर या पाबंद होकर ज़िंदा नहीं रहना चाहता।’

आगे उन्होंने लिखा-‘आज मेरी कमज़ोरियां लोगों के सामने नहीं हैं। अगर मैं फांसी से बच गया तो वो ज़ाहिर हो जाएंगी और इंकलाब का निशान मद्धम पड़ जाएगा या शायद मिट ही जाए। लेकिन मेरे दिलेराना ढंग से फांसी पाने की सूरत में हिंदुस्तानी माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू करेंगी।’

इसके आगे उन्होंने लिखा-‘देश की आज़ादी के लिए बलिदान होने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि इंकलाब को रोकना इंपीरियलिज़्म की तमामतर शैतानी शक्तियों के बस की बात न रहेगी।’

Bhagat Singh की सेंट्रल जेल के दिनों की एक तस्वीर।
Bhagat Singh की सेंट्रल जेल के दिनों की एक तस्वीर।

‘हां, एक विचार आज भी चुटकी लेता है। देश और इंसानियत के लिए जो कुछ हसरतें मेरे दिल में थीं, उनका हज़ारवां हिस्सा भी मैं पूरा नहीं कर पाया।’

अगर ज़िंदा रह सकता तो शायद इनको पूरा करने का मौका मिलता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता।
इसके अलावा कोई लालच मेरे दिल में फांसी से बच रहने के लिए कभी नहीं आया। मुझसे ज़्यादा खुशकिस्मत कौन होगा?

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मुझे आजकल अपने आप पर बहुत नाज़ है। अब तो बड़ी बेताबी से आख़िरी इम्तिहां का इंतज़ार है। आरज़ू है कि ये और करीब आ जए।
-आपका साथी भगत

इसके अगले ही दिन 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह (bhagat singh), सुखदेव (sukhdev) और राजगुरु (rajguru) तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई।

लाहौर (lahore), जिस जगह उन्हें फांसी दी गई आज वो पाकिस्तान (pakistan) में है। उस चौक को शादमान चौक (shadman chowk) पुकारा जाता है। वहां इसका नाम भगतसिंह चौक किए जाने की मांग उठाई जा रही है।

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