बादल फटना किसे कहते हैं? बादल फटने की घटना क्यों होती है? यहां जानिए
1 min readबादल फटना (cloud burst) क्या होता है? बादल फटने की घटना क्यों होती है? क्या आप जानते हैं? यदि नहीं तो भी फिकर नाट। हम आपको बताएंगे।
साथियों, उत्तराखंड (uttarakhand) के देवप्रयाग (devprayag) में बादल फटने के बाद से ही इसे लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं।
आपको बता दें कि बादल फटने का मतलब कुछ लोग बादलों के टुकड़े होने से लगाते हैं, जबकि ऐसा नहीं होता। इसका concept एकदम अलग है।
मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि जब एक जगह अचानक एक साथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं।
इसे आप ऐसे समझिए कि जैसे पानी से भरे किसी गुब्बारे को फोड़ दिया जाए तो सारा पानी एक ही जगह तेज़ी से नीचे गिर जाता है। बिल्कुल इसी तरह बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें पानी की धार के रूप में तेजी से अचानक जमीन पर गिरती हैं।
इसे फ्लैश फ्लड (flash floods) या क्लाउड बर्स्ट (cloud burst) भी कहते हैं। इस प्रकार अचानक तेजी से फटकर बारिश करने वाले बादलों को प्रेगनेंट क्लाउड (pregnant cloud) भी कहा जाता है।
अब आपको बताते हैं कि बादल फटने (cloud burst) की घटना क्यों होती है? दोस्तों, यह तब होती है, जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं।
वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। इनके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है। इसके बाद अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है।
बादल फटने पर 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है। अब आपको बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में बादल अधिक क्यों फटते हैं।
आपको बता दें कि पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से ये आगे नहीं बढ़ पाते।
इसके बाद अचानक एक ही स्थान पर तेज़ बारिश होने लगती है। बताया जाता है कि पहाड़ों पर अमूमन 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं।
पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है कि सैलाब बन जाती है। पहाड़ों पर पानी रूकता नहीं इसलिए तेजी से पानी नीचे आता है।
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नीचे आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी, मलबा, बोल्डर आदि ले आता है। इनकी रफ्तार इतनी तेज होती है कि तबाही मच जाती है।
देवप्रयाग में बादल फटने cloud (burst) के बाद हालात का जायजा लेने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत रवाना हो रहे हैं।
उन्होंने खुद अपने ट्विटर हैंडल (Twitter handle) http://@TEERTHSINGHRAWAT से इस बात की जानकारी दी है।
उधर, प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में मौसम विज्ञान केंद्र के बारिश को लेकर आरेंज अलर्ट से लोग आशंका में जी रहे हैं।