Guillotine : लोगों को मारने का अमानवीय तरीका, जिस पर 10 सितंबर, 1977 में रोक लगी
1 min readमौत! यह नाम सुनते ही अच्छे अच्छों की रूह कांप जाती है। दुनिया में मौत देने का एक तरीका बेहद अमानवीय भी था। यह गिलोटिन (guillotine) था।
जो सिर काटने के एक यंत्र के रूप में जाना जाता है। इसमें सजा पाए व्यक्ति को एक स्ट्रेचर (streture) जैसे स्ट्रक्चर पर लिटाया जाता था।
एक विंडो से सिर बाहर निकाला जाता था और ऊपर से एक गंडासा व्यक्ति की गर्दन पर आकर गिरता था, जिससे उसकी मर्दन कटकर एक ओर गिर जाती थी।
यद्यपि इसे मौत देने के सरल तरीके रूप में आजमाया गया था, लेकिन यह बेहद खौफनाक साबित हुआ। फ्रांसीसी क्रांति (french revolution) के दौरान हजारों लोगों को इस यंत्र (apparatus) से मौत के घाट उतारा गया।
25 अप्रैल, 1792! ये वह दिन था, जिस दिन पहली बार गिलोटिन (guillotine) से एक व्यक्ति को मौत (death) की सजा दी जा रही थी। यह शख्स थे निकोलस जैकस पेलेटियर।
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वह फ्रेंच हाईवेमैन french (highwayman) यानी घोड़े पर सवार होकर गन प्वाइंट पर मुसाफिरों को लूटने वाला लुटेरा था। उनकी उम्र करीब 35 वर्ष थी। जिस वक्त उन्हें इसके जरिए मौत की नींद सुला दिया गया।
आपको बता दें कि 12 वर्ष की हाना ओक्यूइश (Hannah ocuish) इस सजा से मरने वाला सबसे छोटी शख्स था। उसकी उम्र महज 12 साल की थी, जब 20 दिसंबर, 1786 को उसे न्यू लंदन (new London) में गिलोटिन्ड (guillotined) किया गया।
वह यूनाइटेड नेशंस (United Nations) की हिस्ट्री (history) में गिलोटिन (guillotine) किए जाने वाले सबसे छोटे शख्स के रूप में आज भी जानी जाती है। उस पर एक उससे आधी उम्र की लड़की की हत्या (murder) का आरोप था।
आपको जानकारी दे दें कि इस उपकरण के इस्तेमाल पर 10 सितंबर, 1977 में रोक लगी। इसे पश्चात चार ही वर्ष बाद सन्र 1981 में कैपिटल पनिशमेंट (capital punishment) यानी मृत्युदंड को समाप्त कर दिया गया था।
आपको बता दें कि इसे फ्रांस (France), स्विट्जरलैंड (Switzerland), इटली (Italy), बेल्जियम (Belgium), जर्मनी (Germany), आस्ट्रिया (Austria) एवं स्वीडन (sweeden) में इस्तेमाल किय जाता था। इन सभी देशों में मृत्युदंड पर रोक लगने के साथ ही इस उपकरण के इस्तेमाल पर भी रोक लग गई।