कार्तिक स्वामी मंदिर : जहां कार्तिकेय ने भगवान शिव को समर्पित की थीं अस्थियां

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उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग (rudraprayag) जिले में कार्तिक स्वामी (kartik swami) मंदिर स्थित है। यहीं, कार्तिकेय ने अपनी अस्थियां शिव को समर्पित की थीं।

किवदंती के अनुसार एक दिन भगवान शिव ने पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा कि तुममें से जो पहले ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाकर आएगा, उसकी पूजा सभी देवी-देवताओं से पहले की जाएगी।

कुमार कार्तिकेय ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के लिए निकल गए, लेकिन गणेशजी ने भगवान शिव और माता पार्वती के चक्कर लगा लिए और कहा कि मेरे लिए तो आप दोनों ही ब्रह्मांड हैं।

भगवान शिव ने खुश होकर गणेशजी से कहा कि आज से तुम्हारी पूजा सबसे पहले की जाएगी।

Kartik swami मंदिर से बर्फ से ढकी चोटियों का खूबसूरत नजारा भी दिखता है। (फाइल फोटो)
Kartik swami मंदिर से बर्फ से ढकी चोटियों का खूबसूरत नजारा भी दिखता है। (फाइल फोटो)

जब कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए और उन्हें इन सब बातों का पता चला तो उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। अपनी अस्थियां भगवान शिव को समर्पित कर दीं।

माना जाता है कि यही वह स्थान है। यह मंदिर समुद्र तल (sea level) से 3050 मीटर की ऊंचाई पर गढ़वाल (garhwal) हिमालय की चोटियों के बीच  स्थित है।

माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 200 साल से भी अधिक पुराना है। मान्यता है कि इस मंदिर में घंटी बांधने से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

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यही कारण है कि मंदिर के रास्ते में दूर से ही यहां  अलग-अलग आकार की घंटियां लगी दिखाई  देती हैं।

कार्तिक स्वामी (kartik swami) मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को मुख्य सड़क से करीब 80 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है।

यहां शाम के वक्त आरती भी खास होती है। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग शिरकत करते हैं। आपको बता दें कि हिदू कैलेंडर के आठवें महीने कार्तिक के देवता कार्तिकेय हैं।

स्कंद पुराण के अनुसार इसी महीने में कुमार कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध किया था। कार्तिकेय मुख्य रूप से दक्षिण भारत में पूजे जाने वाले भगवान हैं। लेकिन उत्तराखंड में इस मंदिर के प्रति भी लोगों की आस्था अपार है।

कार्तिक स्वामी मंदिर में प्रतिवर्ष जून माह में महायज्ञ होता है। बैकुंठ चतुर्दशी पर भी दो दिवसीय मेला लगता है।

कार्तिक पूर्णिमा और ज्येष्ठ माह में मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर संतान के लिए दंपति यहां दीपदान भी करते हैं।

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