ओम पुरी : जब पैसे के लिए अंबाला में चाय की दुकान पर करना पड़ा काम, ट्रैक से बीनते थे कोयला
1 min readओम पुरी (om Puri) अपने सशक्त अभिनय से फिल्म इंडस्ट्री में छाए रहे। क्या आपको पता है कि पैसे के लिए उन्हें चाय की दुकान पर काम करना पड़ा था।
जी हां। यह अंबाला (ambala) का किस्सा है, जहां आज से करीब 70 साल पहले यानी सन् 1950 में उनका जन्म हुआ था।
उनके पिता एक रेलवे कर्मचारी थे। बताया जाता है कि सीमेंट चोरी के आरोप में उन्हें सलाखों के पीछे जाना पड़ा था, जिसके बाद उनके परिवार के बुरे दिन शुरू हो गए।
ओम पुरी (om puri) के बड़े भाई वेद प्रकाश पुरी रेलवे (railway) में कुली (coolie) का काम करने लगे थे जबकि ओमपुरी को मजबूरी में चाय की दुकान (tea shop) पर काम करना पड़ा।
कई बार तो वह ट्रेक (track) से कोयला चुगकर लाते थे। बहरहाल ओम पुरी ने अपनी पढ़ाई को ब्रेक नहीं लगने दिया। जैसे तैसे करके अपनी शिक्षा पूरी की।
इसके बाद नाटकों में दिलचस्पी के चलते वह एनएसडी (national school of drama) चले गए। जहां उन्हें नसीरुद्दीन शाह जैसे दोस्त मिले, जिनके साथ उनकी यारी खूब जमी।
ओमपुरी ने बाद में एक इंटरव्यू में कहा भी कि ‘वह दिन बेहद मुश्किल भरे दिन थे। जब एफटीआईआई (FTII) में प्रवेश करते वक्त मेरे पास पहनने को एक अच्छी कमीज तक नहीं थी।
उनकी पहली फिल्म चोर चोर छिप जाता थी, जिसमें उन्हें एक छोटा रोल मिला था। अलबत्ता, विजय तेंदुलकर के नाटक पर हरिहरन के निर्देशन में बनी ‘घासीराम कोतवाल’ से उनकी पहचान बनी।
1980 में आई फिल्म आक्रोश उनके लिए टर्निंग प्वाइंट (turning point) साबित हुई। इसके बाद 1982 में आई फिल्म अर्द्धसत्य ने उन्हें एक बेहतर अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया।
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इंडियन के साथ ही ब्रिटिश, अमेरिकन प्रोडक्शन की फिल्मों में अभिनय के जौहर दिखाए।
गंभीर सिनेमा के साथ ही व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों का हिस्सा बने। कामेडी में भी उनका कोई जोड़ नहीं था।
जाने भी दो यारों, हेराफेरी, मालामाल वीकली, चाची 420 जैसी अनेक फिल्में हैं, जो उनके अभिनय की रेंज दिखाती हैं।
भारत एक खोज, सी हाक्स, मि. योगी जैसे अनेक सीरियल्स में भी वह दिखे। तीन साल पहले 2017 में छह जनवरी के दिन दिल का दौरा पड़ने से यह कलाकार संसार को अलविदा कह गया।