तीरथ सिंह रावत के सामने बतौर सीएम कई चुनौतियां, क्या पार पाएंगे?
1 min readतीरथ सिंह रावत (tirath Singh rawat) उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। वह एक सहज, सरल व्यक्तित्व वाले नेता हैं। सवाल है क्या वे अफसरों को कस सकेंगे।
क्या तीरथ सिंह रावत (tirath Singh rawat) बतौर सीएम सामने आने वाली चुनौतियों से पार पा सकेंगे? यह सवाल सभी के दिलों में उठ रहा है।
और इसकी वजह भी है। उन्हें कांटों भरा ताज मिला है। त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा, इसके पीछे विधायकों का असंतोष था।
कहा जा रहा था कि अफसरशाही त्रिवेंद्र सिंह रावत की नहीं सुन रही थी। इसके अलावा गैरसैंण को कमिश्नरी बनाए जाने और कोटद्वार का नाम बदले जाने जैसे फैसलों में भी उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया, ये उनकी पीड़ा थी।
तीरथ के सामने आम जनता के बीच भरोसा जगाने के साथ ही सभी को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी। अगले साल यानी 2022 में राज्य में चुनाव भी हैं। इसे देखते हुए फूंक फूंककर कदम रखना होगा।
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आपको बता दें कि तीरथ सिंह सन् 2000 में नवगठित उत्तराखंड के पहले शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद 2007 में वे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री चुने गए।
इसके बाद वे प्रदेश चुनाव अधिकारी तथा प्रदेश सदस्यता प्रमुख रहे। 2013 में उत्तराखंड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे।
वर्ष 2012 में चौबटाखाल विधान सभा से विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होंने 2013 में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला।
इससे पूर्व वर्ष 1983 से 1988 तक वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रचारक रहे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखंड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री भी रहे।
तीरथ सिंह रावत हेमवती नंदन गढ़वाल विश्व विधालय (HNBGU) में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे।
इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे।
1997 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए तथा विधान परिषद् में विनिश्चय संकलन समिति के अध्यक्ष बनाये गए थे।
तीरथ 10 मार्च, 2021 की शाम शपथ के साथ ही औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का कार्यभार ग्रहण कर लेंगे।