काढ़ा करेगा सर्दी का काम तमाम
1 min readपारुल सिंघल
कोरोना से लड़ाई में आयुर्वेद के फार्मूले असरकारक साबित हुए हैं. सभी सामग्रियों के सही अनुपात से बना काढ़ा विशेष रूप फायदेमंद है. आयुर्वेद में तमाम ऐसी जड़ी- बूटी हैं जिससे मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी उन पर किसी संक्रमण का असर जल्दी नहीं होगा. सर्दियों में ख़ुद को बीमारियों से बचाने के लिए घर पर ही काढ़ा तैयार कर पिया जाए तो कई बीमारियों से बचाव हो सकेगा.
आयुर्वेदाचार्य डा. वेद प्रकाश बताते हैं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सभी को आयुर्वेदिक फार्मूला अपनाने चाहिए. घर में बनाया गया काढ़ा तभी असरकारक होता है जब उसमें सभी सामग्रियों का अनुपात सही हो. इसके लिए काढे को चार प्रमुख औषधीय जडी-बूटियों तुलसी की पत्ती, दालचीनी, सोंठ और कृष्ण मरीच काली मिर्च मिलाकर तैयार करना सबसे उपयुक्त रहता है. तुलसी पत्ती चार भाग, दालचीनी दो भाग, सोंठ दो भाग और काली मिर्च का एक भाग होना सबसे उपयुक्त है. सबसे पहले सभी सूखी सामग्रियों को पीसकर मोटा पाउडर बना लें, इसके अब तीन ग्राम के पाउच या टी बैग बनाएं या पाउडर की गोली बनाएं । 150 मिलीलीटर उबले पानी में इसे घोलकर चाय की तरह एक या दो बार सेवन कर सकते हैं । स्वाद के लिए इसमें गुड/द्राक्षा/नींबू का रस मिला सकते हैं। इसका दिन में तीन बार सेवन करें।
उन्होंने बताया इसके अतिरिक्त हल्दी का दूध भी पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी immunity बढ़ती है। तिल के तेल से कुल्ला करने से मुंह में संक्रमण होने का खतरा कम हो सकता है। संक्रामक रोगों के लिये मौसम, क्षेत्र, शरीर, वायरस या बैक्टीरिया समेत चार प्रमुख कारक हैं। हमें सबसे अधिक ध्यान अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर देना चाहिये। इसके लिये आयुर्वेद में गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा, शतावरी, बला,कालमेघ आदि अनेक प्रभावी औषधियां उपलब्ध है। इनका प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिये। बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम जैसे सामान्य लक्षणों की दशा में सुबह थोड़ा अदरक, तुलसी के पत्ते, पांच काली मिर्च, थोड़ी दाल चीनी, एक बड़ी इलायची को उबालें। उबल कर आधा हो जाने पर सुबह-शाम इसका सेवन करना चाहिए। इससे न केवल सर्दी खांसी, जुकाम के तीव्र लक्षणों में सुधार होगा बल्कि कोरोना से प्रभावित होने वाले अंगों व फेफड़ों में काफी सुधार होता है। घर में संक्रमण से बचाव के लिये नीम की पत्तियां भी गुणकारी होती है। प्रतिदिन घर में नीम की पत्ती, गूगल, राई, अगुरू, सरसों, लोबान, कपूर आदि से बनी सामग्री का हवन करें, जिससे हानिकारक पौधोजन्स रोगजनक कीटाणूं से बचाव किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ठंडी चीजों से बिलकुल दूर रहें। हरी सब्जियों में आसानी से पचने वाली चीजों का सेवन करें.कोरोना काल में आयुर्वेद की जड़ी बूटियां संजीवनी साबित हो रही हैं। कोरोना को मात देने के लिये आयुर्वेद की औषधि कारगर साबित हो रही हैं। इससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है।