बूटा सिंह, पूर्व गृह मंत्री नहीं रहे, कांग्रेस के बुरे वक्त में भी पार्टी संग डटकर खड़े रहे थे
1 min readदेश के पूर्व गृह मंत्री रहे और नेहरू-गांधी परिवार के करीबी सरदार बूटा सिंह (buta Singh) ने दो जनवरी, 2021 को दुनिया को अलविदा कह दिया।
वे 86 वर्ष के थे। उन्होंने एम्स के नई दिल्ली स्थित परिसर में सुबह करीब साढ़े छह बजे दम तोड़ दिया। वे लंबे समय से बीमारी से पीड़ित थे।
आपको बता दें कि सरदार बूटा सिंह (buta Singh) की छवि हमेशा एक दलित मसीहा के तौर पर बनी रही।
उन्हें कांग्रेस का दलित नेता भी कहा जाता था। उनके निधन को कांग्रेस (congress) पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति के रूप में भी देखा जा रहा है।
सरदार बूटा सिंह का जन्म पंजाब (Punjab) के जालंधर (Jalandhar) जिले के मुस्तफापुर गांव में 21 मार्च, 1934 को हुआ था।
सरदार बूटा सिंह 8 बार लोकसभा के लिए चुने गये। वे अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी को छोड़ गए हैं। उनके एक बेटे अरविंदर सिंह लवली हैं, जो देवली के पूर्व विधायक रहे हैं।
सरदार बूटा सिंह मौजूदा समय में अपने बेटे के साथ उनके दिल्ली के जंगपुरा (jangpura) स्थित आवास पर रह रहे थे।
आपको बता दें कि सरदार बूटा सिंह को हमेशा नेहरू-गांधी परिवार के करीबी के रूप में जाना जाता रहा।
गांधी परिवार के विश्वासपात्र के रूप में सरदार बूटा सिंह ने कांग्रेस की सरकार के दौरान कई अहम पदों पर कार्य किया।
इनमें केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री, खेल मंत्री आदि पद विशेष रूप से शामिल हैं। आपको बता दें कि वह एक बार बिहार के राज्यपाल भी रहे।
सरदार बूटा सिंह ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कांग्रेस के बुरे वक्त में भी सरदार बूटा सिंह पार्टी के साथ डटकर खड़े रहे। आपको बता दें कि ये वो समय था, जब 1977 में आई ‘जनता लहर’ के कारण कांग्रेस पार्टी बुरी तरह पस्त हो गई थी।
ऐसे विपरीत समय में सरदार बूटा सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में पदभार संभाला।
उन्होंने कड़ी मेहनत करके कांग्रेस को 1980 में फिर से सत्ता दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने बूटा सिंह के निधन पर शोक जताया है। प्रधानमंत्री ने अपने Twitter account http://@narendramodi के जरिए tweet कर बूटा सिंह के योगदान को याद किया।