विष्णु सखाराम खांडेकर : ऐसे पहले मराठी लेखक, जिन्हें प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ अवार्ड मिला
1 min readविष्णु सखाराम खांडेकर (Vishnu sakharam khandekar) पहले ऐसे मराठी लेखक थे, जिन्हें प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ अवार्ड दिया गया था।
जी हां, उनका जन्म 19 जनवरी, 1898 में महाराष्ट्र (Maharashtra) के सांगली (sangali) में हुआ था। उनके पिता सांगली प्रिंसिपैलिटी में मुंसिफ थे।
उनके शुरुआती जीवन में वह अभिनय (acting) में दिलचस्पी रखते थे। स्कूल के दिनों में वे नाटक वगैराह भी खेला करते थे।
उन्होंने 1913 में 15 वर्ष की अवस्था में मैट्रिकुलेशन (matriculation) पास किया था। जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने पुणे (pune) के फर्ग्युसन कॉलेज (Ferguson college) का रुख कर लिया।
सन् 1920 में विष्णु सखाराम खांडेकर (Vishnu sakharam khandekar) ने एक छोटे शहर शिरोड़ा !shiroda) में स्कूल टीचर के रूप में काम करना शुरू कर दिया।
यह आज का सिंधुदुर्ग (sindhudurg) जिला है, जो कि महाराष्ट्र के कोकण (konkan) क्षेत्र में पड़ता है।
उन्होंने स्कूल में करीब 18 साल यानी 1938 तक काम किया। एक टीचर के रूप में काम करते हुए उन्होंने मराठी साहित्य रचना की।
अपने जीवन में उन्होंने 16 उपन्यास लिखे। ढाई सौ के करीब छोटी कहानियां लिखीं और लगभग 200 आलोचनाएं भी उनके हिस्से में है।
उन्होंने मराठी व्याकरण में खांडेकर अलंकार की स्थापना की और उस पर काम किया। सन् 1941 में खांडेकर मराठी साहित्य सम्मेलन (maratha literature conference) का अध्यक्ष चुना गया।
यह सम्मेलन सोलापुर (solapur) में 1968 में हुआ था। भारत सरकार ने उन्हें उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए पद्म भूषण की उपाधि दी।
इसके 2 साल बाद उन्हें साहित्य एकेडमी (sahitya academy) अवार्ड मिला।
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सन् 1974 में उन्हें उनकी रचना ययाति के लिए उन्हें ज्ञानपीठ अवार्ड दिया गया। इसके दो ही साल बाद सन् 1976 में 78 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली।
शिवाजी यूनिवर्सिटी आफ कोल्हापुर (महाराष्ट्र) ने उन्हें डीलिट की मानद उपाधि से नवाजा। वहीं, भारत सरकार ने उनके ऊपर एक डाक टिकट जारी किया।
उनके कार्य के ऊपर फिल्में भी बनी है जिनमें मराठी/हिंदी फिल्म ज्वाला, मराठी/हिंदी फिल्म अमृत, मराठी फिल्म धर्मपत्नी आदि शामिल हैं। उन्होंने परदेशी फिल्म के डायलॉग और स्क्रीन प्ले भी लिखा।
उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं में ययाति, क्रौंचवध, देवयानी, शर्मिष्ठा आदि शुमार हैं।