आक्सीजन को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए कैसे तैयार किया जाता है, जानिए…
1 min readआक्सीजन (oxygen) के लिए इन दिनों दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हाहाकार है। हम आपको बताएंगे कि आक्सीजन अस्पताल के लिए कैसे तैयार की जाती है।
साथियों, ऑक्सीजन (oxygen) तैयार करने के कई तरीके हैं, जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित है सेपरेशन टेक्निक (separation technique)।
आपको पता ही होगा कि हवा में करीब 21% ऑक्सीजन होती है। इसे मशीनों के जरिए कंप्रेस (compress) कर और फिल्टर कर ऑक्सीजन को बाकी गैसों से अलग कर लिया जाता है।
इस अलग की गई ऑक्सीजन को मास्टर फिल्टर (master filter) से गुजारा जाता है, ताकि इसकी त्रुटियों को छानकर अलग किया जा सके।
अब इस छनी हुई ऑक्सीजन को ठंडा किया जाता है। आपको बता दें कि – 83 डिग्री पर ऑक्सीजन द्रव रूप में बदल जाती है।
इसकी शुद्धता 99.5 परसेंट आंकी गई है। इस ठंडी की गई ऑक्सीजन को कैप्सूल में भरकर ऑक्सीजन डिस्ट्रीब्यूटर (oxygen distributor) के प्लांट तक पहुंचाया जाता है।
जहां इसे सिलेंडरों (cylinders) में भरा जाता है। द्रव रूपी ऑक्सीजन को वेपोराइजर (veporisers) की सहायता से फिर से गैस में तब्दील कर दिया जाता है।
अब यह गैस (gas) सिलेंडर के माध्यम से या फिर सीधे सप्लाई (direct supply) लायक बन जाती है।
उधर, बीएचईएल हरिद्वार (BHEL, haridwar) में शनिवार से रानीपुर प्लांट (ranipur plant) में ऑक्सीजन सप्लाई (oxygen supply) का काम शुरू कर दिया गया है।
इससे पूर्व बृहस्पतिवार को ही भेल प्रबंधन की ओर से राज्य सरकार से ऑक्सीजन सप्लाई का लाइसेंस हासिल कर लिया गया था।
कोरोना (corona) की दूसरी लहर में लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच देशभर में ऑक्सीजन की मांग को लेकर हालात बहुत चिंताजनक है।
ऐसे में उत्तराखंड में बीएचईएल कैंपस के ऑक्सीजन प्लांट से आसानी से अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकती है।
आपको बता दें कि बीएचएल कैंपस में ढाई सौ क्यूबिक मीटर यानी ढाई लाख लीटर प्रति घंटा की क्षमता वाला आक्सीजन प्लांट लगा हुआ है।
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यह 24 घंटे में 60 लाख लीटर ऑक्सीजन उत्पादन (oxygen production) कर सकता है।