जानिए ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला से क्या है 11 अप्रैल का संबंध

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आप ऋषिकेश (rishikesh) आए होंगे तो आपने लक्ष्मण झूला भी जरूर देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लक्ष्मण झूला का 11 अप्रैल से क्या संबंध है?

यदि नहीं,  तो आपको बता दें कि लक्ष्मण झूला ने 11 अप्रैल 2023 को अपने स्थापना के 93 साल पूरे कर लिए हैं।

जी हां, आपको बता दें कि लक्ष्मण झूला को 11 अप्रैल, 1930 को आम लोगों के लिए खोला गया था। उस समय के यूनाइटेड प्रोविंस (United province) के गवर्नर (governor) (जो कि बाद उत्तर प्रदेश में शामिल हुआ) मेलकम हेली (Malcom helly) ने इस पुल का उद्घाटन किया था।

 

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लक्ष्मण झूला केवल ऋषिकेश के लोगों के लिए गंगा पार करने का जरिया ही नहीं, बल्कि देशभर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र भी है।

कहते हैं कि लक्ष्मण झूला पर 1889 से पहले रस्सियों का पुल था, जिस पर छींके के सहारे गंगा नदी पार की जाती थी।

कोलकाता के सेट रायबहादुर सूरज झुनझुनवाला (sooraj jhunjhunwala)  ने इस पर तारों का एक पुल बनवाया था, जो 1924 की बाढ़ में बह गया। इसके पश्चात उनके पुत्र रायबहादुर शिवप्रसाद तुलसियान (shivprasad tulsyan) ने करीब सवा लाख की लागत से वर्तमान लक्ष्मण झूला पुल बनवाया।

उनकी ओर से यह सुविधा भी दी गई कि आम लोगों से इस पुल पर गुजरने के लिए कभी कोई टैक्स (tax) नहीं लिया जाएगा।

राय बहादुर सूरज झुनझुनवाला के पड़पोते महेश तुलसियान (Mahesh tulsyan) बताते हैं कि उनकी दादी को छींके में बैठकर नदी पार करने से डर लगता था। एक वजह यह भी थी कि उनके परदादा ने गंगा नदी पर लक्ष्मण झूला का निर्माण कराया‌।

पुल को लेकर कथा है कि भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण जी ने यहीं से गंगा पार की थी। सन 2019 से लक्ष्मण झूला को आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया।

अब ऋषिकेश (rishikesh) में इसके बगल में बजरंग पुल (bajrang pul) का निर्माण शुरू किया गया है। इसके लिए करीब ₹70 करोड़ रुपए का बजट (budget) निर्धारित किया गया है। इसे भारत का पहला कांच के फुटपाथ वाला पुल भी बताया जा रहा है।

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