आंग सान सू की : 1948 में कर दी गई थी जनरल पिता की हत्या, 15 साल नजरबंदी में गुजारे

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बर्मा में सेना ने तख्ता पलट दिया है। वहां की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की (aung San suu ki) समेत कई को सेना ने गिरफ्तार कर लिया है।

क्या आप जानते हैं कि आंग सान सू की (aung San suu ki) म्यांमार (Myanmar) की आज़ादी के अगुआ रहे जनरल आंग सान  (general aung san) की बेटी हैं।

आपको बता दें कि 1948 में  जनरल आंग सान की हत्या कर दी गई थी। उस समय सू की महज दो वर्ष की थीं।

सू की ने म्यांमार के सैन्य शासकों को चुनौती देने के लिए अपनी आज़ादी छोड़ दी। सन् 1991 में नजरबंदी के दौरान ही उन्हें को नोबेल शांति पुरस्कार (Noble peace prize) से नवाज़ा गया.

आपको बता दें कि 1989 से 2010 तक सू की ने करीब 15 साल नज़रबंदी में बिताए। 2015 के नवंबर में सू की के नेतृत्व में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (national league for democracy) पार्टी ने चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की।

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आपको बता दें कि  म्यांमार के इतिहास में 25 साल में हुआ यह पहला चुनाव था, जिसमें लोगों ने खुलकर शिरकत की।

बच्चों के विदेशी नागरिक होने की वजह से 75 वर्षीय सू की बर्मा की राष्ट्रपति नहीं बन सकतीं, लेकिन वे म्यांमार की सर्वोच्च नेता मानी जाती हैं।

Aung San suu ki एक कार्यक्रम के दौरान। (फाइल फोटो)
Aung San suu ki एक कार्यक्रम के दौरान। (फाइल फोटो)

अलबत्ता, म्यांमार की स्टेट काउंसलर (state counselor) बनने के बाद से सू की ने म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या (rohingya) मुसलमानों के प्रति जो रवैया अपनाया, उसकी काफ़ी आलोचना हुई।

2017 में रखाइन प्रांत में पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ली।

इसके बाद सू की ने 2019 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (international Court) में हुई सुनवाई के दौरान जो सफाई पेश की, उसके बाद उनकी अंतरराष्ट्रीय ख्याति ख़त्म हो गई।

इससे पहले उनकी मानवाधिकार के लिए लड़ने वाली महिला की छवि थी। हालांकि, म्यांमार में आंग सान सू की को ‘द लेडी’ (the lady) की उपाधि हासिल है।

बहुसंख्यक बौद्ध आबादी में वे अभी भी बेहद लोकप्रिय हैं, लेकिन ये आबादी रोहिंग्याओं से अधिक सहानुभूति नहीं रखता। बहरहाल, पूरी दुनिया की नजर म्यामार पर लगी हुई है।

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