चौधरी अजित सिंह आईबीएम संग काम करने वाले शुरुआती भारतीयों में थे, बाद में नेता बने
1 min readराष्ट्रीय लोक दल के संस्थापक और कई बार मंत्री रहे चौधरी (Chaudhary) अजित सिंह का 6 मई, 2021 को निधन हो गया। वे गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती थे।
बीती 21 अप्रैल, 2021 को उनकी कोरोना रिपोर्ट पाज़िटिव आई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
82 वर्षीय चौधरी (Chaudhary) अजित सिंह की हालत नाज़ुक बताई जा रही थी। गुरुग्राम (gurugram) के अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
पश्चिमी यूपी (west up) की राजनीति में अहम दखल रखने वाले चौधरी अजित सिंह देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र थे।
उनकी मां का नाम गायत्री देवी था। उनका जन्म 12 फरवरी, 1939 को मेरठ (meerut) के भदोला गांव में हुआ था।
उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी (Lucknow University) से बीएससी की डिग्री लेने के बाद आईआईटी खड़गपुर (IIT khadakpur) से बीटेक किया।
इसके पश्चात वे यूएस (US) चले गए। वहां के इलिनोइस इंस्टीट्यूट (Illinois institute) से उन्होंने एमएस किया। इसके बाद कंप्यूटर साइंटिस्ट (computer scientist) के बतौर काम शुरू कर दिया।
वे उन कुछ शुरुआती भारतीयों में से एक थे, जिन्होंने 1960 के दशक में आईबीएम (IBM) यानी इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (international business machine) कंपनी के साथ काम किया।
पिता चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) की बीमारी के चलते चौधरी अजित सिंह का राजनीति में प्रवेश हुआ। वे 1986 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
इसके कुछ समय बाद 1989 में उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता। वे वीपी सिंह सरकार में मंत्री रहे। 1991 में हुए चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की और कांग्रेस की पीवी नरसिंहराव सरकार में भी मंत्री रहे।
वे लगातार छह बार बागपत (baghpat) से सांसद चुने गए। 2019 में उन्होंने मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ा, लेकिन संजीव बालियान के हाथों उन्हें करीब साढ़े छह हजार वोट से पराजय का सामना करना पड़ा।
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उनकी शादी राधिका सिंह से हुई। उनके तीन बच्चे हैं। उनके पुत्र जयंत चौधरी (jayant Chaudhary) भी राजनीति में रहे। वे मथुरा से सांसद रहे हैं।
चौधरी अजित सिंह के निधन पर वेस्ट यूपी के राजनीतिक हलकों में शोक व्याप्त है।