धनतेरस : क्यों मनाई जाती है, किस बात की सूचना देता है यह दिन

1 min read

धनतेरस (Dhanteras) या यूं कह लीजिए कि धनत्रयोदशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है। यह दीपपर्व के आने की शुभ सूचना है।

कहते हैं कि इस दिन धन्वंतरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर आए थे। इसीलिए धनतेरस (Dhanteras) को धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन धन्वंतरि  का पूजन किया जाता है।

धनतेरस के दिन लोग पुराने बर्तनों के बदले नए बर्तन खरीदते हैं। इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना भी अत्यधिक शुभ माना जाता है।

आपको बता दें कि इस दिन वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है। यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के द्वार पर रखा जाता है।

रात को स्त्रियां दीपक में तेल डालकर इसमें चार बत्तियां बनाकर रखती हैं और इन्हें जलाती हैं। इसके बाद जल, रोली, चावल, गुड़ और फूल आदि नैवेद्य सहित  दीपक जलाकर यम  का पूजन किया जाता है।

बताते हैं कि एक बार यमदूतों ने यमराज को बताया कि महाराज अकाल मृत्यु से हमारे मन भी द्रवित हो जाते हैं। यमराज ने ऐसे में स्वयं द्रवित होकर कहा- क्या किया जाए? विधि के विधान की मर्यादा के लिए हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना पड़ता है।

अब यमराज ने उन्हें अकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा- धनतेरस के पूजन और दीपदान को विधिपूर्वक अर्पण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि जहां जहां जिस घर में पूजन होता है वहां अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। बताया जाता है कि इसके बाद से ही धनतेरस के दिन धन्वंतरि पूजन सहित यमराज को दीपदान की प्रथा का प्रचलन हुआ।

धनतेरस के दिन लोग सोना-चांदी, चांदी के बर्तन, गहने आदि बड़ी मात्रा में खरीदते हैं। हालांकि इस बार जिस प्रकार कोविड-19 (covid-19) का असर है और लोग घरों से बाहर कम निकल रहे हैं, इससे त्योहार की रौनक पर असर पड़ना स्वाभाविक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *