दिलीप कुमार ने जब आर्मी क्लब के सामने सैंडविच का स्टाल लगाया
1 min readट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार (dilip Kumar) 11 दिसंबर को 98 साल के हो गए। एक वक्त उन्होंने पुणे में आर्मी क्लब के सामने सैंडविच का स्टाल भी लगाया था।
बताया जाता है कि उन्होंने इस स्टाल से पांच हजार रुपए कमाए। जिसे लेकर उन्होंने मुंबई की राह पकड़ ली।
वह गुलाम सरवर खान की 12 औलादों में से एक थे। उनका शुरुआती नाम मोहम्मद यूसुफ खान था।
उनका जन्म पेशावर जिले (अब पाकिस्तान) के किस्सा ख्वानी इलाके में हुआ था। उनके पिता एक फल व्यापारी थे।
उनके पेशावर और देवलाली (नासिक) में बगीचे थे। भारत विभाजन के बाद वह पेशावर छोड़ भारत आकर मुंबई में बस गए।
मोहम्मद यूसुफ खान को दिलीप कुमार का नाम भी बांबे टॉकीज की मालकिन देविका रानी ने दिया। यह वही देविका थीं, जिनकी बदौलत दिलीप कुमार को पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ मिली।
इसके बाद दिलीप कुमार की अभिनय यात्रा चल निकली। उन्होंने करीब 50 साल तक बालीवुड के आसमान पर अभिनय की चमक बिखेरी।
उनकी शानदार अभिनय यात्रा में एपिक मुगल-ए-आजम, गंगा जमुना, नया दौर, मधुमती, राम और श्याम, देवदास जैसी हर जानर की फिल्म शामिल है।
वह अकेले ऐसे अभिनेता हैं, जिनके नाम आठ फिल्म फेयर अवार्ड दर्ज हैं। उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड के साथ ही भारत सरकार पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी नवाज चुकी है। दिलीप राज्य सभा सांसद भी रहे।
आपको बता दें कि पाकिस्तान ने भी 1998 में दिलीप कुमार को वहां का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज’ भी दिया, जिस पर विवाद उठ खड़ा हुआ था।
यह तो आपको पता ही होगा कि दिलीप कुमार ने अपने से 22 साल छोटी अभिनेत्री सायरा बानो से सन् 1966 में शादी रचाई। लेकिन उन्होंने 1981 में असमां जहां से भी निकाह किया, लेकिन यह विवाह केवल दो साल चला। 1983 में उनका तलाक हो गया।
दिलीप कुमार (dilip Kumar) की कोई संतान नहीं हुई। आज दिलीप कुमार सायरा के साथ मुंबई में रहते हैं। डाक्टरों की एक टीम लगातार उनके स्वास्थ्य की देखभाल करती है। हालांकि इस बार उनके जन्मदिन पर कोई जश्न नहीं हो रहा है। ईश्वर उन्हें शतायु करें।