डा.राजेंद्र प्रसाद की जयंती आज, पहले राष्ट्रपति के बारे में यह बात नहीं जानते होंगे आप
1 min readदेश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद (Dr rajendra Prasad) की आज 137वीं जयंती है। राजेंद्र बाबू के बारे में आप शायद यह बात नहीं जानते होंगे।
उनकी उत्तर पुस्तिका में एक बार परीक्षक ने लिखा था, ‘परीक्षार्थी परीक्षक से बेहतर है’। यह उनकी बुद्धिमता का एक नमूना भर है।
उन्होंने 1950 से लेकर 1962 तक देश के राष्ट्रपति का पद सुशोभित किया। डा. राजेंद्र प्रसाद वकील होने के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी भी रहे।
वह महात्मा गांधी के विश्वासपात्र लोगों में से थे। वह देश को आजाद देखना चाहते थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कई बार जेल भी गए।
वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य भी थे। राजेंद्र बाबू के जीवन से जुड़े अनेक ऐसे किस्से हैं, जो आज भी कहे जाते हैं।
राजेंद्र बाबू का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को जीरादेई (ब्रिटिशकालीन भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी) में हुआ था।
जून, 1896 में महज 12 वर्ष की कम उम्र में, उनका विवाह राजवंशी देवी से हुआ। वह तब अपने बड़े भाई महेंद्र प्रसाद के साथ पढ़ने के लिए दो वर्ष की अवधि के लिए पटना में टीके घोष अकादमी चले गए।
उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्हें छात्रवृत्ति के रूप में 30 रुपए प्रति माह मिलने लगे।
राजेंद्र बाबू 1902 में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में शुरू में एक विज्ञान छात्र के रूप में शामिल हुए। उन्होंने मार्च, 1904 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से एफए की परीक्षा पास की।
इसके पश्चात मार्च, 1905 में वहां से प्रथम श्रेणी में स्नातक किया। यहीं उनकी बुद्धिमता से प्रभावित होकर परीक्षक ने उनकी उत्तर पुस्तिका में खूबसूरत टिप्पणी लिखी।
डा. राजेंद्र प्रसाद (Dr rajendra Prasad) बेहद विनम्र स्वभाव के व्यक्ति के रूप में याद किए जाते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान भी भुलाया नहीं जा सकता।
बताया जाता है कि डा. राजेंद्र प्रसाद की मृत्यु सन् 1963 में दिल का दौरा (heart attack) पड़ने से हुई। डा. राजेंद्र प्रसाद ने 78 साल की अवस्था में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।