कैलाश सांखला को क्यों पुकारा गया The tiger man of india? जानिए
1 min readक्या आप द टाइगर मैन आफ इंडिया कैलाश सांखला (kailash sankhla) के बारे में जानते हैं? यदि नहीं तो सुनिए। उन्होंने बाघों के संरक्षण को आवाज उठाई थी।
ऐसा करने वाले 1956 में वे पहले व्यक्ति थे। आपको बता दें कि कैलाश सांखला (kailash sankhla) का जन्म 30 जनवरी, 1925 को राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर jodhpur में हुआ था।
1953 में वे वन सेवा में आए। उन्होंने सरिस्का, रणथंभौर, भरतपुर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का प्रबंधन किया। वे राजस्थान के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन भी रहे।
बेहतर कार्य के लिए उन्हें 1965 में राजस्थान सरकार की ओर से मेरिट अवार्ड दिया गया। इसी साल उन्हें बतौर डायरेक्टर दिल्ली जूलाजिकल पार्क (Delhi zoological park) का जिम्मा मिला।
यहीं रहते हुए सांखला में वन्य जीव प्रबंधन को लेकर एक अलग दृष्टि विकसित हुई। 1970 में बाघों पर रिसर्च और अध्ययन के लिए सांखला को जवाहर लाल नेहरू फेलोशिप (jawahar Lal nehru fellowship) अवार्ड हुई।
ये फैलोशिप हासिल करने वाले वे देश के पहले नौकरशाह (civil servant) थे। ये वो दौर था, जब तस्करी और शिकार की वजह से बाघों (tigers) की संख्या निरंतर कम हो रही थी।
सांखला ने इनके संरक्षण के लिए कई सिफारिशें (recommendations) दीं। सन् 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर (project tiger) शुरू हुआ तो कैलाश सांखला इसके पहले डायरेक्टर बनाए गए।
कैलाश सांखला ने बाघ संरक्षण के लिए 1989 में टाइगर ट्रस्ट (tiger trust) की भी नींव रखी। सांखला को टाइगर कंजरवेशन में उनके काम को देखते हुए भारत सरकार ने 1992 में पद्मश्री से भी नवाजा गया। 1994 में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
काम के दौरान अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने द स्टोरी ऑफ इंडियन टाइगर, टाइगर लैंड, टाइगर, रिटर्न आफ द टाइगर जैसी कई मशहूर किताबें भी लिखीं।
अपनी एक किताब पर उन्हें 1982 में मेरिट अवार्ड भी मिला। वहीं, सन् 2013 में राजस्थान सरकार की ओर से उन्हें राजस्थान रत्न (Rajasthan ratan) भी घोषित किया गया।
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बाघों के लिए उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें द टाइगर मैन ऑफ इंडिया (the tiger man of india) पुकारा गया।