प्रेमचंद की ‘देवी’ ने पेश की गुरबत में भी आदर्श की एक अलग मिसाल
1 min readमशहूर लेखक/साहित्यकार प्रेमचंद (premchand) की कहानियां देश के आम जनमानस से जुड़ी कहानियां हैं। आज हम आपको प्रेमचंद की कहानी देवी–
‘रात भीग चुकी थी। मैं बरामदे में खडा था। सामने अमीनुददौला पार्क (aminuddaula park) नींद में डूबा हुआ था। सिर्फ एक औरत एक तकियादार बेंच पर बैठी थी।
पार्क के बाहर सड़क के किनारे एक फकीर खड़ा राहगीरो को दुआएं दे रहा था। खुदा और रसूल का वास्ता……राम और भगवान का वास्ता….. इस अंधे पर रहम करो।
सड़क पर मोटरों ओर सवारियों का तांता बंद हो चुका था। इक्के–दुक्के आदमी नजर आ जाते थे। फ़कीर की आवाज जो पहले नक्कारखाने में तूती की आवाज थी, अब खुले मैदान की बुलंद पुकार बन गई थी !
एकाएक वह औरत उठी और इधर उधर चौकन्नी आंखो से देखकर फकीर के हाथ में कुछ रख दिया। इसके बाद बहुत धीमे से कुछ कहकर एक तरफ चली गई।
फकीर के हाथ में एक कागज का टुकडा नजर आया। उसे वह बार बार मल रहा था। क्या उस औरत ने यह कागज दिया है ?
यह क्या रहस्य है ? रहस्य जानने के कौतूहल से अधीर होकर मै नीचे आया ओर फकीर के पास जाकर खड़ा हो गया।
मेरी आहट पाते ही फकीर ने उस कागज के पुर्जे को दो उंगलियों से दबाकर मुझे दिखाया। और पूछा,- बाबा, देखो यह क्या चीज है ?
मैने देखा, वह दस रुपए का नोट था ! बोला– दस रुपये का नोट है, कहां पाया ?
फकीर ने नोट को अपनी झोली में रखते हुए कहा-कोई खुदा की बंदी दे गई है।
मैने ओर कुछ न कहा। उस औरत की तरफ दौड़ा, जो अब अधेरे में बस एक सपना बनकर रह गई थी।
वह कई गलियों मे होती हुई एक टूटे–फूटे से मकान के दरवाजे पर रुकी। ताला खोला और अंदर चली गई।
मैंने रात को कुछ पूछना ठीक न समझा और लौट आया। रात भर मेरा जी उसी तरफ लगा रहा। एकदम तड़के मैं फिर उस गली में जा पहुचा । पता चला कि वह एक अनाथ विधवा है।
मैने दरवाजे पर जाकर पुकारा– देवी, मैं तुम्हारे दर्शन करने आया हूँ। औरत बहार निकल आई। ग़रीबी और बेकली की जिंदा तस्वीर।
मैने हिचकते हुए कहा- रात आपने फकीर को…
देवी ने बात काटते हुए कहा–अजी वह क्या बात थी, मुझे वह नोट पड़ा मिल गया था, मेरे किस काम का था?
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मैंने उस देवी (Devi) के कदमो पर सिर झुका दिया….। प्रेमचंद (premchand) की कहानियों (stories) को खूब सराहना मिली।
नमक का दारोगा, पंच परमेश्वर, कफ़न जैसी प्रेमचंद (premchand) की अनेक कहानियां हैं, जो आज भी मौजूं हैं। आपको बता दें कि उनका असली नाम धनपतराय (dhanpat Rai) था।