राजेंद्र नाथ कहते थे, अच्छा हुआ मैं ज्यादा नहीं पढ़ा और डाक्टर बनने से बच गया, बहुतों की जिंदगी बचा ली

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यदि आप 60-70 के दशक की फिल्मों के शौकीन हैं तो राजेंद्र नाथ (rajendra nath) को नहीं भूले होंगे। उन्होंने कामेडियन के बतौर लोगों के दिलों में घर किया।

8 जून को राजेंद्र नाथ की जयंती है। वे जिंदा होते तो आज करीब 90 साल के हो गए होते। आपको बता दें कि राजेंद्र नाथ (rajendra nath) का परिवार मूल रूप से पेशावर (Peshawar) (वर्तमान पाकिस्तान) का रहने वाला था।

बाद में उनका परिवार मध्य प्रदेश के जबलपुर (jabalpur) में आकर बस गया। राजेंद्र नाथ का जन्म टीकमगढ़ स्टेट (वर्तमान में मध्य प्रदेश में) में हुआ।

उनके पिता रीवा (riwa) में आईजी पुलिस थे। ऐसे में उनकी पढ़ाई दरबार कालेज, रीवा से हुई। कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह भी उनके क्लास फैलो रहे।

आपको बता दें कि उनके सबसे बड़े भाई प्रेमनाथ थे। उनके बाद राजेंद्र नाथ दूसरे स्थान पर थे। वे कुल 12 भाई बहन थे जिनमें चार बहनें थी।

प्रेमनाथ फिल्मों में किस्मत आजमाने मुंबई जा चुके थे। राजेंद्र नाथ भी 1949 में प्रेमनाथ के पीछे मुंबई जाकर थिएटर करने लगे थे।

पृथ्वी थिएटर के साथ उन्होंने पठान, शकुंतला जैसे नाटक किए। इसके बाद  वे शम्मी कपूर के नजदीक आ गए।

और उन्हें दिल दे के देखो फिल्म में शम्मी कपूर और आशा पारेख के साथ रोल निभाने का मौका मिला। 1959 की इस फिल्म में वे कामेडियन (comedian) बने।

Rajendra nath अपनी फिल्म के एक दृश्य में।
Rajendra nath अपनी फिल्म के एक दृश्य में।

इसके बाद नजीर हुसैन की अधिकतर फिल्मों में वे नजर आए। उन्होंने फिर वही दिल लाया हूं, जब प्यार किसी से होता है जैसी अनेकों हिट फिल्में दीं।

जब प्यार किसी से होता है मैं उनका रोल पोपटलाल इतना मशहूर हुआ कि लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते लगे।

पहली नेपाली फिल्म मीताघर में भी वे नजर आए। इसके अलावा भी कुछ पंजाबी फिल्मों में काम किया। 1996 में वे हम पांच सीरियल में भी पोपट लाल के रूप में दिखे।

13 फरवरी, 2008 को राजेंद्र नाथ का करीब 77 साल की उम्र में निधन हो गया। अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वे केवल एफएससी तक पढ़े थे।

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और ये अच्छा ही हुआ। यदि वे ज्यादा पढ़ते तो डाक्टर बने होते। ऐसा न कर उन्होंने बहुत सारे लोगों की जिंदगी बचा ली।

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