रोनाल्ड रॉस : अल्मोड़ा में पैदा हुआ स्काटिश डाक्टर जिसने मलेरिया की जड़ खोज नोबल जीता

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डा. रोनाल्ड रॉस (Dr Ronald ross)! जी हां, अल्मोड़ा में पैदा हुए इसी स्कॉटिश मूल के डॉक्टर के मलेरिया बीमारी की जड़ खोजी थी, जिससे उसका इलाज संभव हुआ।

डा. रोनाल्ड रॉस (Dr Ronald ross) का जन्म 13 मई, 1857 को हुआ था। रॉस ने ही यह पता लगाया था कि मलेरिया मादा एनाफि‍लीज (anafleeze) मच्छर से होता है।

अल्मोड़ा (almora) अब उत्तराखंड (uttarakhand) में है। उनके पिता सर कैंपबेल रास ब्रिटिश कालीन भारतीय सेना के अफसर थे।

रोनाल्ड का बचपन भारत में बीता और फिर वे इंग्लैंड (England) चले गए। यहां उन्होंने पिता के दबाव में लंदन के सेंट बर्थेलोम्यू मेडिकल स्कूल में दाखिला ले लिया।
अपनी मेडिकल की शिक्षा पूरी होने के बाद वे इंडियन मेडिकल सर्विस (indian medical services) एंट्रेंस में बैठे, लेकिन असफल हुए।

Ronald ross को लिखने का भी शौक था।
Ronald ross को लिखने का भी शौक था।

उन्होंने एक बार और कोशिश की। इस बार वे 24 छात्रों में से 17 वें स्थान पर रहे। आर्मी मेडिकल स्कूल (army medical school) में चार माह की ट्रेंनिग के बाद वे इंडियन मेडिकल सर्विस में प्रवेश पाने में कामयाब रहे। उन्हें मद्रास प्रेसिडेंसी में काम करने का मौका मिला.

रॉस मलेरिया पीड़ित सैनिकों का इलाज कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पाया कि इलाज के बाद रोगी ठीक तो हो जाते थे, लेकिन कई लोगों की मौत भी हो जाती थी।

हिंदुस्तान में सात साल काम करके वे 1888 में इंग्लैंड लौट गए। पब्लिक हेल्थ में डिप्लोमा किया। यहां वे लैब की तकनीकों और माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करने में दक्ष हो गए।

1889 में वे फिर भारत लौटे। उनके पास बुखार का कोई भी रोगी आता था तो वे उसका खून का सैंपल रख लेते। उसकी घंटों माइक्रोस्कोप के जरिए study करते।

वे खुद एक बार मलेरिया का शिकार हो गए। इसके बाद एक हज़ार मच्छरों का डिसेक्शन किया। आवश्यक तथ्यों के साथ लंदन (London) लौटे।

वहां वे डॉ पेट्रिक मैंसन से मिले। मच्छरों के मलेरिया के रोगाणु फैलाने की थ्योरी उनसे साझा की। बाद में इसे सिद्ध भी किया।

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इस खोज के लिए डॉ. रोनाल्ड रॉस को 1902 में शरीर क्रिया विज्ञान और चिकित्सा का नोबल पुरस्कार दिया गया।

आपको बता दें कि डॉ. रोनाल्ड रॉस को लिखने का भी बेेेहद शौक था। वे कविताएं लिखते थे।

रॉस खनखरॉस 16 सितंबर, 1932 में करीब 75 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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