असित सेन: पतली आवाज में डायलॉग को खींचकर बोल गुदगुदाने वाला कलाकार
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अगर आपने आनंद फिल्म देखी है तो आपको भारी भरकम शरीर वाला वो अमीर भी याद होगा, जो ‘शिफ्टिंग पेन’ से परेशान हैं। आज उसी कलाकार असित सेन (asit sen) की बात।
फिल्म इंडस्ट्री में ‘असित दा’ के नाम से पुकारे जाने वाले असित सेन (asit sen) का जन्म 13 मई, 1917 को गोरखपुर में हुआ था।
उस वक्त गोरखपुर (gorakhpur) आगरा-अवध प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। यहां उनके पिता फोटोग्राफर का काम करते थे।
कैमरा तकनीक camera (technique) में दक्ष होने के बाद असित सेन ने मुंबई (तब बंबई) का रुख कर लिया।
वहां उन्हें मशहूर निर्देशक बिमल राय (bimal Roy) के न्यू थिएटर में कैमरामेन की नौकरी मिल गई। बिमल ने उन्हें अपनी फिल्म ‘सुजाता’ में एक झक्की प्रोफेसर के रोल के लिए साइन कर लिया।

यहां से उनके अभिनय करियर की शुरूआत हुई। उनसे बारीकियां सीख असित सेन ने दो फिल्मों का निर्देशन भी किया।
ये फिल्में 1956 में आई ‘परिवार’ और 1957 में रिलीज हुई ‘अपराधी कौन’ थीं। उधर, बिमल दा की सुजाता’ के बाद उन्हें महेश कौल की फिल्म ‘सौतेला भाई’ में रोल मिला।
इसी फिल्म में असित सेन ने अपनी पतली आवाज में संवादों को खींचकर बोला। लोगों को उनकी यह डायलॉग डिलीवरी बहुत पसंद आई। इसके साथ ही वे हास्य अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए।
इसके बाद असित सेन ने पूरी तरह अभिनय पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कई ऐसी फिल्मों में काम किया, जो अपने वक्त की बड़ी हिट रहीं। जैसे जंगली, जानवर, बीस साल बाद, गोपीचंद जासूस आदि।
इसके अलावा उन्होंने मेरे सनम, शहीद (1965), लव इन टोकियो, तीसरी कसम (1966), उपकार (1967), आराधना, इंतकार (1969), आनंद, पहचान, पूरब और पश्चिम (1970), लाल पत्थर, मेरा गांव मेरा देश (1971), अनुराग (1972), अमानुष (1975), बैराग (1976), अनुरोध (1977), तेरे मेरे बीच में (1984), आरपार (1985) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से लोगों को गुदगुदाया।
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18 सितंबर, 1993 को 76 साल की उम्र में कोलकाता (Kolkata) में इस अद्भुत कलाकार असित सेन (asit sen) ने दुनिया को अलविदा कह दिया।