Salima tete की प्रतिभा पहचानने वाले कोच मनोज से मिलिए, सिमडेगा को बनाया हाकी हब
1 min readसलीमा टेटे (salima tete) का नाम इन दिनों छाया है। वे भारतीय जूनियर हॉकी महिला टीम की कप्तान बनी हैं। लेकिन आज आप मनोज से मिलिए।
जी हां, मनोज कोनबेगी (Manoj konbegi) ही वे शख्स हैं, जिन्होंने सबसे पहले सलीमा टेटे (Salima tete) की प्रतिभा को पहचाना। उन्होंने ही सलीमा के पिता से आग्रह किया कि वे उसे हाकी में आगे बढ़ाएं।
आपको बता दें कि मनोज स्वयं कोई प्रोफेशनल कोच नहीं है, लेकिन प्रमोटर हैं। झारखंड (jharkhand) में हाकी को आगे बढ़ाने में उनका अमूल्य योगदान है।
वे हाकी सिमडेगा (hockey simdega) के अध्यक्ष भी हैं। अपनी अब तक की यात्रा के बारे में उन्होंने khaskhabar24.com की एडिटर (editor) प्रवेश कुमारी से बात की।
बतौर मनोज उनको स्कूली समय से ही हाकी खोलने का शौक था। घर की परिस्थितियों की वजह से वे स्वयं प्रोफेशनल हाकी नहीं खेल सके, लेकिन खेल को प्रोत्साहित करने में उन्होंने कसर नहीं छोड़ी।
कालेज में पढ़ाई के दौरान ही कमाई के लिए उन्होंने कांट्रैक्ट पर काम लेना शुरू कर दिया। इसी दौरान एक रोड पर काम चल रहा था।
यह 1989 की बात है। पंचायत स्तर का एक हाकी टूर्नामेंट चल रहा था। कुछ मजदूरों ने भी हाकी खेलने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने टूर्नामेंट के लिए मजदूरों की पूरी टीम उतार दी।
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मनोज बताते हैं कि 1995 के आसपास एक अन्य हाकी टूर्नामेंट में खेलने के लिए वे बकरा तक देने को तैयार हो गए थे, जिसकी कीमत उस वक्त करीब 2200/- रुपए आई थी।
2010 में जिला स्तर पर नेहरू कप का आयोजन उन्हीं के प्रयासों से हो सका। यही वह टूर्नामेंट था, जिसमें उन्होंने सलीमा टेटे को पहली बार खेलते देखा और उसके पिता से उसे हाकी में आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
उस वर्ष सलीमा के पिता ने इस नसीहत पर गौर नहीं किया। 2012 में सलीमा फिर टूर्नामेंट खेलने पहुंचीं। एक बार फिर मनोज कोनबेगी ने उसके पिता को सलीमा को लेकर सलाह दी।
उन्होंने कहा कि सलीमा को वहीं ट्रेनिंग हास्टल में डाल दें ताकि वो सेलेक्टर्स की नजर में आ जाएं। यही हुआ भी। सन् 2013 में उसे झारखंड स्टेट टीम में जगह मिल गई। इसके बाद का वाकया सबको पता है।
सलीमा को साउथ अफ्रीका (south africa) में होने वाले जूनियर हॉकी महिला वर्ल्ड कप (world Cup) के लिए भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है।
सलीमा मिड फील्ड पोजीशन में खेलती हैं। लेकिन मनोज का मानना है कि वह डिफेंड भी बेहतरीन करती हैं और बढ़िया फारवर्ड प्लेयर भी हैं।
फिलहाल मनोज का सिमडेगा में हाकी को आगे बढ़ाने का कार्य जारी है। उन्होंने इसे हाकी हब बना दिया है। इसमें उन्हें स्थानीय लोगों का भी भरपूर साथ मिल रहा है।