शबनम देश की पहली महिला, जिसे फांसी होगी, सात परिजनों को कुल्हाड़ी से काटा था
1 min readशबनम (shabnam) आजाद भारत की पहली ऐसी महिला है, जिसे फांसी होगी (first woman to be hanged)। राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका नामंजूर कर दी है।
उत्तर प्रदेश (UP) के अमरोहा (amroha) की रहने वाली शबनम (shabnam) ने अप्रैल, 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या (murder) कर दी थी।
शबनम के परिवार में टीचर पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम और दस महीने का भतीजा अर्श शामिल थे।
पीजी कर चुकी शबनम और गांव के ही आठवीं पास युवक सलीम के बीच प्रेम संबंध था, जो उसके पिता को पसंद नहीं था। दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन शबनम सैफी और सलीम पठान बिरादरी से था।
सलीम के कम पढ़ा-लिखा और फिर दूसरी बिरादरी से होने के चलते शबनम के परिवार ने शादी से साफ़ इनकार कर दिया था।
इसके बाद से सलीम (Salim) से मिलने के लिए शबनम पूरे परिवार को नींद की गोलियां खिलाने लगी। जब परिवार सो जाता तो घर की छत के रास्ते से रोज सलीम मिलने आता था।
हालांकि दोनों ने फिर एक ऐसा फैसला लिया, जो दिल दहलाने वाला था। 14 अप्रैल, 2008 की रात शबनम ने प्रेमी सलीम को घर बुलाया और परिवार को नींद की गोलियां खिलाकर सुला दिया।
रात में शबनम और सलीम ने मिलकर पिता शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम, फुफेरी बहन राबिया और दस माह के भतीजे अर्श को गला काट कर मौत की नींद सुला दिया।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (supreme Court) ने शबनम (shabnam) की फांसी (execution) की सजा बरकरार रखी थी।
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अब राष्ट्रपति (president) ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी है। लिहाजा आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा।
उसे मथुरा (Mathura) स्थित उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इकलौते महिला फांसीघर में फांसी पर लटकाया जाएगा। इस फांसीघर को 150 साल पहले बनवाया गया था, लेकिन कभी इस्तेमाल नहीं किया गया।
अलबत्ता, फांसी की तारीख अभी तय नहीं है। माना जा रहा है मेरठ (meerut) के पवन जल्लाद (Pawan Jallad) इसे अंजाम देने वाले हैं। पवन दो बार फांसीघर का दौरा भी कर चुके हैं।