Tea डे पर हो जाएं जरा गरमा-गरम चाय के प्याले से जुड़ी कुछ खास बातें

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सुबह एक प्याला गरमा-गरम चाय न मिले तो कुछ खाली-खाली सा लगता है। आज 21, मई, 2021 को international tea day है। जानिए, चाय से जुड़ी कुछ खास बातें-

सबसे पहले भारत में चाय (tea) के आगमन की बात। कहा जाता है कि सन् 1824 में बर्मा (burma) या म्यांमार (myanmaar) और असम (assam) की सीमांत पहाड़ियों पर चाय के पौधे पाए गए थे।

अंग्रेजों ने सन् 1836 मे भारत (India) में चाय (tea) का उत्पादन शुरू किया था।

बताया जाता है कि पहले खेती के लिए चीन (China) से बीज मंगवाए जाते थे, लेकिन बाद में असम की चाय के बीजों का इस्तेमाल किया जाने लगा।

15 दिसंबर, 2005 से दुनिया भर के चाय उत्पादन करने वाले देशों ने अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day 2019) मनाया शुरू किया।

इसकी शुरुआत भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi) से हुई। इसके एक साल बाद यह श्रीलंका में मनाया गया और उसके बाद से तमाम देशों में इसका आयोजन होने लगा।

लेकिन इसके बाद भारत की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दो साल पहले 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित कर दिया।

आपको बता दें कि 2015 में मिलान में हुई अंतरराष्ट्रीय खाद्य और कृषि संगठन यानी एफएओ (FAO) के अंतर सरकारी समूह की बैठक में भारत की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया गया था। 2019 में इसे मंजूर कर लिया गया।

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चाय के औषधीय गुणों के साथ साथ ही इसके सांस्कृतिक महत्व को भी समझा है।

आज से तीन साल पहले की 2018 की एफएओ की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो दुनिया में काली चाय का उत्पादन 2027 तक बढ़कर 44 लाख टन हो जाने का अनुमान है।

Tea यानी कुल्हड़ की चाय भी अपना ही आनंद है।
Tea यानी कुल्हड़ की चाय भी अपना ही आनंद है।

आपको बता दें कि महज चार साल पहले यानी सन् 2017 में यह 33।3 लाख टन था। वहीं हरी चाय यानी ग्रीन टी (green tea) की बात करें तो उसका उत्पादन 36 लाख टन हो जाने का अनुमान है।

आपको बता दें कि हरी चाय का यह उत्पादन साल 2017 में 17।7 लाख टन था। अब चलिए, अपने देश भारत की बात करें।

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक भारत में काली चाय का उत्पादन 2017 में 1216 लाख टन था, जो 2027 तक 16।1 लाख टन पहुंच जाने का अनुमान है।

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अब आते हैं दुनिया के सबसे बड़े चाय उत्पादक देश चीन (china) पर। यहां हरी चाय का उत्पादन 2017 में 15।2 लाख टन था, जिसके 2027 तक 33।1 लाख टन तक पहुंच जाने का अनुमान है।

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