वनराज भाटिया नहीं रहे, इस मशहूर संगीतकार के पास नेशनल अवॉर्ड था, पद्मश्री भी पर पैसे नहीं थे

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मशहूर संगीतकार वनराज भाटिया (Vanraj Bhatia) नहीं रहे। वे नेशनल अवार्डी थे, उनके पास पद्मश्री थी, लेकिन जेब में पैसे नहीं थे। तंगहाली में जीवन गुजार रहे थे।

हाउस मेड सुजीत कुमारी के सहारे क्राकरी आदि बेचकर, पड़ोसियों, परिचितों की वित्तीय मदद के सहारे जीवन गुजारते उन्होंने कोरोना काल में 7 मई, 2021 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

इस वक्त न्यू वेव सिनेमा (new vave cinema) को अपने करिश्माई संगीत से अलग अंदाज देने वाले वनराज भाटिया की उम्र 94 साल थी।

उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘अजूबा’ के साथ ही ‘तमस’, ‘अंकुर’, ‘मंथन’, ‘मंडी’, ‘जुनून’ और ‘कलयुग’ जैसी फिल्मों में म्यूजिक दिया।

आपको बता दें कि वनराज भाटिया को सन् 1988 में आई गोविंद निहलानी की फिल्म ‘तमस’ में सर्वश्रेष्ठ संगीत (best music) के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड (national film award) भी मिला।

इसके बाद आज से करीब नौ साल पहले सन् 2012 में उन्हें संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री (padam Shri) से नवाजा गया।

इससे पूर्व सन 1989 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी (sangeet natak academy) पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

वनराज भाटिया ने अपनी दिलचस्पी और योग्यता के चलते लंदन स्थित रॉयल एकेडमी ऑफ म्यूजिक (Royal academy of music, London) से वेस्टर्न क्लासिकल म्युजिक (Western classical music) की शिक्षा ली।

लेकिन अच्छे दिन कई बार हमेशा नहीं रहते। कुछ समय पहले खबर आई कि उनके मेडिकल खर्च (mediacal expenses) के लिए दोस्तों ने चंदा देना शुरू कर दिया है।

जिस घर में वनराज रह रहे थे, उसकी देख-रेख भी डोनेशन के पैसे से हो रही थी। हालांकि यह पैसा ऊंट के मुंह में जीरे के समान था।

वनराज भाटिया (Vanraj Bhatia) देश की धरोहर थे, लेकिन उनकी तरफ देखने का ख्याल किसी भी सरकारी नुमाइंदे को उनके जीते जी नहीं आया।

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अब वनराज नहीं हैं तो इंडस्ट्री में हर कोई उन्हें बेहतरीन बताते हुए उन्हें याद कर रहा है। वनराज! आप उस दुनिया में चैन से रहें।

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