यूरी गगारिन पहले अंतरिक्ष यात्री थे, जानिए इस खास मिशन के लिए क्यों हुआ उनका चयन

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अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले इंसान सोवियत रूस के यूरी गगारिन (Yuri Gagarin) थे। छोटा कद स्पेस मिशन में उनके चयन की एक बड़ी वजह बना।

दरअसल, सोवियत पायलट यूरी गगारिन  (Yuri Gagarin) महज पांच फुट, दो इंच के थे। ऐसे में अंतरिक्ष यान के कैप्सूल में वे आसानी से फिट हो सकते थे।

रूस के अंतरिक्ष में जाने के सात प्रयास किए, लेकिन वे कामयाब नही हुए, ऐसे में यूरी के मिशन पर सबकी निगाहें लगी थी।

12 अप्रैल, 1968 वह दिन था, जब यूरी अंतरिक्ष में पहुंच गए। वे करीब 108 मिनट वहां रहे। इस यात्रा के बाद गगारिन को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली।

आउटर स्पेस में जाने से पहले उन्होंने कहा था- ‘पोयेखाली’ जिसका अर्थ होता है ‘अब हम चले’।

आपको बता दें कि उन्होंने केवल 16 साल की उम्र में फाउंड्रीमैन के रूप में ट्रेनिंग की। 1955 में रूस (russia) के सारातोव शहर में उन्होंने कास्टिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा किया।

तत्पश्चात वे वहां के फ्लाइंग क्लब (flying club) में भर्ती हो कर विमान चलाना भी सीखने लगे।कहा जाता है कि जब यूरी केवल 6 साल के थे, तो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके घर पर एक नाजी अधिकारी ने कब्जा कर लिया था।

लिहाजा, उनके परिवार को दो साल तक झोपड़ी में रहना पड़ा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्कूल में गणित यूरी का बेहद पसंदीदा विषय था।

अपनी अंतरिक्ष यात्रा के लिए उन्हें कई तरह के पदकों और खिताबों से सम्मानित किया गया। इन्हीं में से एक ख़िताब हीरो ऑफ़ द सोवियत यूनियन (Hero of the Soviet Union) था।

Yuri Gagarin भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री जवाहर लाल नेहरू संग। (फाइल फोटो)
Yuri Gagarin भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री जवाहर लाल नेहरू संग। (फाइल फोटो)

आपको बता दें कि यूरी गगारिन ने वोस्तोक 1 (Vostok 1) नामक  यान में अपनी अंतरिक्ष यात्रा पूरी  की थी।

27 मार्च, १९६८ के दिन नोवोसिओलोवो में जब वे मिग १५ (MiG-15) नामक ट्रेनिंग विमान का संचालन कर रहे थे तो, विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी।

अब उनके सम्मान में यूरी गगारिन पदक प्रदान किया जाता है। आपको बता दें कि इससे पूर्व मार्च, 1934 को क्लूशीनो (clushino) रूस, सोवियत संघ में उनका जन्म हुआ था।

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उनके पिता एक बढ़ई यानी कारपेंटर (carpenter) थे। उनकी मां खेतों में काम करती थी। उनकी मृत्यु के रहस्य से पर्दा उनकी मौत के तकरीबन 20 साल बाद उठा।

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