कोरोना पर भारी पड़ा उत्साह, बिहार में 54.01 फीसदी वोटिंग

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बिहार विधानसभा चुनाव में कोरोना के डर पर मतदान का उत्साह भारी पड़ा। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 54.01  प्रतिशत वोट पड़े।

2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव के वोट प्रतिशत मुकाबले यह चुनाव प्रतिशत अधिक है। हालांकि 2015 की अपेक्षा यह मामूली सा कम रहा है।

आपको बता दें कि 2005 में 43.17  प्रतिशत, जबकि 2010 में 49.8 9% मतदान हुआ था। इस बार चुनाव के लिए महिलाओं, दिव्यांगों, बुजुर्गों सभी वर्गों में खासा उत्साह देखने को मिला।

सुबह-सुबह ही लोग वोट करने के  लिए बूथों पर जाकर लाइन में लग गए थे। सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। यहां तक कि नक्सल प्रभावित इलाकों में भी जमकर मतदान हुआ।

आपको बता दें कि पहले चरण की जिन 71 सीटों पर मतदान हुआ है, उस में से 35 सीटें नक्सल प्रभावित इलाकों में पड़ती हैं। हालांकि कुछ जगहों पर नक्सलियों ने वोटिंग प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी।

जमुई, गया, नवादा, औरंगाबाद जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में शांति के साथ मतदान संपन्न हुआ। इस तरह पहले चरण के 1066 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद हो गया है।

अब दूसरे चरण का चुनाव आगामी 3 नवंबर को होगा और तीसरे चरण के 7 नवंबर को होने वाले चुनाव के साथ ही आने वाली 10 नवंबर को बिहार चुनाव का नतीजा घोषित कर दिया जाएगा।

उधर, पहले चरण का चुनाव संपन्न होने के बाद पार्टियां अगले चरण के चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गई हैं।

एनडीए की रणनीति  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के इर्द-गिर्द घूम रही है। वहीं, कांग्रेस ने पहले चरण की सीटों पर रणनीति की समीक्षा के बाद दूसरे और तीसरे चरण की रणनीति बनाने का एलान किया है।

वह समीक्षा के बाद ही पहले चरण की रणनीति में किसी तरह का बदलाव करने के मूड में है। वह प्रदेश सरकार के खिलाफ  आक्रामक रुख बनाए रखेगी।  कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाना भी जारी रखेगी।

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