पीयूष मिश्र : 10वीं में पढ़ते हुए ही जिला कोर्ट में दे दिया था नाम बदलवाने को एफिडेविट
1 min readमशहूर गीतकार और एक्टर पीयूष मिश्रा (piyush Mishra) 13 जनवरी, 2021 को 58वें साल में लग जाएंगे। उन्होंने 10वीं कक्षा में मां बाप का दिया नाम बदल लिया था।
बताया जाता है कि पीयूष मिश्रा (piyush Mishra) बचपन से ही विद्रोही स्वभाव के थे। और यह स्वभाव उन्होंने घर के सख्त वातावरण में रहते हुए पाया था।
उन्होंने कक्षा आठ में ही पहला गीत लिख दिया था-हां जिंदा हूं मैं…। उन्हें मां-बाप का दिया नाम प्रियकांत शर्मा पसंद नहीं था।
लिहाजा, उन्होंने खुद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (district court) जाकर अपना नाम बदलवाने को एफिडेविट (affidavit) दिया। और अपना नाम पीयूष मिश्रा रख लिया।
कौन जानता था कि इसी नाम के साथ उनकी प्रसिद्धि का सफर शुरू होगा। उनका जन्म 13 जनवरी, 1963 को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहर ग्वालियर (gwalior) में हुआ था।
कुछ ही समय बाद उनको उनकी बुआ के यहां भेज दिया गया। जहां उनका बचपन बीता। 12वीं पास करते करते उन्हें नाटकों में दिलचस्पी पैदा हुई।
इसके बाद उन्होंने नाटकों में दिलचस्पी के चलते आगे चलकर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा यानी एनएसडी (NSD) में दाखिला ले लिया।
हालांकि, इस समय तक एनएसडी के लिए दिल्ली शिफ्ट होना उनके घर से दूर रहने का एक जरिया था। लेकिन यहां उन्होंने अपने लेखन और अभिनय क्षमता से सबको प्रभावित किया।
एनएसडी में उन्होंने बहुत सारे नाटक किए। यहीं से उनकी फिल्मों में एक्टिंग का भी रास्ता खुला।
वे दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले सीरियल भारत एक खोज, सरदार आदि में नजर आए। निर्माता निर्देशक विशाल भारद्वाज की मकबूल फिल्म के साथ फिल्मों में अभिनय का उनका खाता खुला।
इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। तेरे बिन लादेन, राक स्टार, हैप्पी भाग जाएगी, टशन, गैंग्स ऑफ वासेपुर में नजर आए। टशन आदि फिल्मों के लिए उन्होंने डायलॉग भी लिखे।
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मिर्जा गालिब के कृतित्व पर आधारित उनका प्रोजेक्ट बल्लीमारान बहुत सराहा गया। उनकी रचना इक बगल में चांद होगा भी बहुत मकबूल हैं।
इस वक्त अपने दो बेटों जोश, जय और पत्नी प्रिया संग वे मुंबई (Mumbai) के गोरेगांव (goregaon) में रह रहे हैं। कई नए प्रोजेक्ट उनके हाथ में हैं।