अरुण गोविल को पिता सरकारी नौकरी में भेजना चाहते थे, लेकिन प्रभु राम को कुछ और मंजूर था

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अरुण गोविल (Arun govil) ने रामायण (ramayana) सीरियल में राम के किरदार में इतिहास रच दिया। 12 जनवरी को अरुण गोविल 63 साल के हो गए।

आपको बता दें कि अरुण गोविल (Arun govil) के पिता सरकारी नौकरी में भेजना चाहते थे, क्योंकि वह खुद एक सरकारी अधिकारी थे।

लेकिन अरुण गोविल अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते थे। वे ऐसा काम करना चाहते थे, जिसमें उनको मजा आए।

आपको बता दें कि उनका जन्म उत्तर प्रदेश (UP) के मेरठ (meerut) में हुआ था। उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया था।

70 के शुरुआती दशक में वे मुंबई (Mumbai) चले गए, ताकि अपने भाई का बिजनेस में हाथ बटा सकें।

वहां उनको अपनी भाभी तबस्सुम (tabassum) के जरिए पहली फिल्म पहेली (paheli) मिली। 1977 में आई इस फिल्म में रामानंद सागर (ramanand Sagar) को उनका काम बहुत पसंद आया।

आपको बता दें कि इसके बाद उन्हें तीन फिल्मों का कांट्रेक्ट मिल गया। पहली फिल्म 1979 में आई सावन को आने दो बहुत हिट रही।

इसके बाद उनकी फिल्म राधा और सीता जरूर फ्लॉप हो गई, लेकिन इसके बाद आई सांच को आंच नहीं को भी कामयाबी मिली।

80 के शुरुआती दशक में टेली सीरियल्स की धूम थी। ऐसे में अरुण गोविल ने भी छोटे पर्दे का रुख किया।

1985 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए सीरियल विक्रम और बेताल (Vikram aur baital) में उन्हें राजा विक्रम की भूमिका की मिली।

Arun govil विक्रम-बेताल धारावाहिक के एक दृश्य में। (फाइल फोटो)
Arun govil विक्रम-बेताल धारावाहिक के एक दृश्य में। (फाइल फोटो)

व इसके जरिए घर-घर में मशहूर हो गए। और उसके बाद दूरदर्शन आए रामायण धारावाहिक ने तो इतिहास रच दिया।

आपको शायद पता न हो कि रामायण सीरियल में भगवान राम के रोल के लिए हुए ऑडिशन (audition) में अरुण गोविल सेलेक्ट (select) नहीं हो सके थे।

लेकिन इसके बावजूद सीरियल के निर्माताओं का उनकी प्रतिभा पर पूरा भरोसा था और उन्होंने भगवान राम के रोल के लिए अरुण गोविल को ही cast किया।

1986 में आए इस सीरियल का उस समय लोगों पर इतना प्रभाव था कि की लोग उस कमरे में जूते भी नहीं ले जाते थे, जिस कमरे में टीवी रखा होता था।

और कार्यक्रमों की हालत तो यह थी कि कई बुजुर्ग लोग भी आगे बढ़कर प्रभु राम का किरदार अदा करने वाले अरुण गोविल के चरण छू लेते थे।

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