नाजिर हुसैन : रेलवे और सेना की नौकरी से लेकर हिंदी अभिनेता और भोजपुरी फिल्मों के पितामह तक
1 min readआपको पुरानी फिल्मों का वह बाप जरूर याद होगा, जिसे बेटी का प्रेम प्रसंग सुन हार्ट अटैक आ जाता था। इस किरदार को जीवंत करते थे नाजिर हुसैन (Nazir Hussain)।
नाजिर हुसैन (Nazir Hussain) एक सशक्त अभिनेता ही नहीं, बल्कि प्रोड्यूसर और राइटर भी थे। उन्हें भोजपुरी फिल्मों (bhojpuri cinema) का पितामह भी कहा जाता है।
नासिर हुसैन का जन्म 15 मई 1922 को उत्तर प्रदेश (UP) के गाज़ीपुर (ghazipur) ज़िले के उसिया (usia) नामक गाँव में हुआ था।
उनके पिता रेलवे में गार्ड (railway guard) थे। नासिर हुसैन ने कुछ समय रेलवे में फायरमैन (railway fireman) का काम भी किया।
उसके कुछ ही समय बाद वे ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हो गए। यह दूसरे विश्व युद्ध (second world war) का समय था।
उनकी सिंगापुर में तैनाती रही। इसके बाद में सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के संपर्क में आए और उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (indian national army) जॉइन कर ली।
आजादी के बाद भारत सरकार ने उन्हें स्वतंत्र सेनानी का दर्जा दिया। उन्हें आजीवन के लिए रेलवे का फ्री पास भी मुहैया कराया गया।
इसके बाद नाजिर हुसैन वी सरकार के संपर्क में आए, जिन्होंने नाटकों में उनकी परफॉर्मेंस देखी थी। यहां से वह कोलकाता में विमल राय से मिले और उनके असिस्टेंट बन गए।
उन्होंने उनके लिए पहला आदमी फिल्म बनाई। उसमें अभिनय भी किया। 1955 में देव आनंद के साथ उन्होंने मुनीमजी फिल्म बनाई। देवानंद के साथ उनकी अच्छी पटरी बैठी।
इसके बाद वे 1957 में उनके साथ पेइंग गेस्ट लाए। नाजिर हुसैन ने करीब 500 फिल्मों में काम किया।
भोजपुरी सिनेमा को आगे लाने में उनका खास योगदान रहा। 60 के दशक में उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से भोजपुरी सिनेमा को आगे बढ़ाने को लेकर चर्चा भी।
इस तरह 1963 में पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो आई। इसके बाद उन्होंने कमसार फिल्मस के बैनर तले अनेकों भोजपुरी फिल्में बनाई।
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उनकी मशहूर फिल्मों में हमार संसार, बलम परदेसिया, चनवा के ताके चकोर, चुटकी भर सेनुर, रूठ गइलन सइयां हमार जैसी फिल्में थीं। 16 अक्टूबर, 1987 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।