तौकते तूफान का कर्नाटक के तटीय इलाकों में कहर, जानिए तौकते नाम का मतलब क्या है

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आप जानते ही होंगे कि साल के पहले चक्रवाती तूफान तौकते (tauktae) ने कर्नाटक में कहर बरपाया हुआ है। क्या आप जानते हैं कि तौकते (tauktae) क्या होता है?

दोस्तों, आपको बता दें कि यह बर्मी (burmi) शब्द है। इसका मतलब होता है, अत्यधिक आवाज करने वाली छिपकली। यह नाम इस बार म्यांमार (myanmar) की ओर से रखा गया है।

सामान्य रूप से देखा जाए तो हर चक्रवात (cyclone) का नाम रखने के पीछे एक खास तरह की प्रक्रिया (process) होती है।

चक्रवातों का नाम विश्व मौसम विभाग (world meteriological department) के अंतर्गत आने वाले दुनिया भर में फैले वॉर्निंग सेंटर (warning center) की ओर से किया जाता है।

Tauktae का तटीय इलाकों में असर।
Tauktae का तटीय इलाकों में असर।

आपको बता दें कि इस पैनल (pannel) में 13 देश शामिल हैं। इन देशों में भारत (India) के अलावा पाकिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन शामिल हैं।

इन देशों ने पिछले साल चक्रवातों (cyclones) के कुल 13 नाम सुझाए थे। इसके चलते  इनके 169 नामों की एक सूची (list) तैयार की गई थी।

इस नामकरण की भी एक खास वजह है। और वो ये कि चूंकि एक चक्रवाती तूफान एक सप्ताह या इससे अधिक समय तक चलता है।

ऐसे में एक वक्त में एक से अधिक तूफान आने पर मौसम विभाग से जुड़े अफसरों/कर्मचारियों समेत अन्य लोगों को किसी तरह का कन्फ्यूजन ना हो, लिहाजा इन चक्रवाती तूफानों को एक नाम दे दिया जाता है।

इससे होता यह है कि आपदा चेतावनियां (disaster alert) जारी करने के साथ ही भविष्य में पिछले चक्रवातों का उल्लेख करने में आसानी होती है।

आपको बता दें कि सामान्य रूप से ट्रॉपिकल चक्रवातों (tropical cyclones) के नाम क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार होते हैं।

यदि इस वक्त तटीय इलाकों में कहर ढा रहे चक्रवाती तूफान तौकते (tauktae) की बात करें तो मंगलवार (18 मई, 2021) तक यह गुजरात के तट पर दस्तक देने वाला है।

आप जानते ही हैं कि यह चक्रवाती तूफान ऐसे समय में आया है, जबकि भारत कोरोना नाम की महामारी से जूझ रहा है।

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इससे पूर्व भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी (IMD) की ओर से अरब सागर (Arabian sea) के ऊपर बने दबाव के क्षेत्र के चक्रवाती तूफान ‘तौकते’ (Tauktae) में तब्दील होने की पुष्टि की गई थी।

उसकी ओर चेताया गया है कि इसके 18 मई, 2021 के आसपास पोरबंदर तथा नलिया के बीच गुजरात तट को पार करने की संभावना है। इसके चलते गुजरात और दीव के समुद्र तटों की निगहबानी की जा रही है।

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