Wuhan इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलाजी की इमारत झेल सकती है 7.0 का भूकंप

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इन दिनों हर जगह कोरोना का कहर है। वायरस के आउटब्रेक को लेकर चीन का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (wuhan institute of virology) फिर चर्चा में है।

कहा जा रहा है कि वुहान की एक लैब में कोरोना जैसी बीमारी के चलते नवंबर, 2019 में तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

क्या आप जानते हैं वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (wuhan institute of virology) और इसकी लैब्स के बारे में? नहीं, तो हम आपको बताते हैं।

जी हां।  जैव संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसके निर्माण में सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इसकी इमारत को फ्लड प्लेन (floodplain) से दूर बनाया गया है।

जहां यह बनाई गई है, उस स्थान पर कभी भूकंप का इतिहास नहीं रहा, फिर भी इमारत इतनी मजबूत बनाई गई है कि वह रिक्टर पैमाने पर 7.0 की तीव्रता वाले भूकंप को भी आसानी से झेल सकती है।

Wuhan की लैब में ही कोरोना पर अध्ययन चल रहा है।
Wuhan की लैब में ही कोरोना पर अध्ययन चल रहा है।

इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां जो वैज्ञानिक काम कर रहे हैं, उन्हें फ्रांस (France) के लियोन (Lyon) में बीएसएल 4 यानी bio safety level-4 के सेफ्टी प्रोसीजर्स की खास तौर पर ट्रेनिंग दी गई है।

आपको बता दें कि इस इंस्टीट्यूट की स्थापना आज से करीब 65 साल पहले सन् 1956 में हुई थी। उस वक्त इसका नाम वुहान माइक्रोबायोलॉजी लैबोरेट्री था।

यह चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (Chinese academy of sciences) के अंतर्गत आती थी।

1961 में इसका नाम बदलकर साउथ चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी कर दिया गया। इसके ठीक एक साल बाद यानी 1962 में इसका नामकरण वुहान माइक्रोबायोलॉजी इंस्टीट्यूट के रूप में हो गया।

1970 में इसका एडमिनिस्ट्रेशन हुबेई कमीशन  ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पास चला गया। और इसका नाम बदलकर माइक्रोबायोलॉजी इंस्टीट्यूट ऑफ हुबेई प्रोविंस कर दिया गया।

यह सिलसिला करीब 8 साल चला। सन् 1978 में इसको वापस Chinese academy of sciences को दे दिया गया और इसका नाम बदलकर वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वाइरोलाजी कर दिया गया।

सन् 2003 में यहां BSL-4 लैब को मंजूरी मिली। फ्रांस सरकार की सीरी लैब (CIRI lab) के साथ करार में 300 मिलियन युवान यानी करीब 44 मिलियन डॉलर की लागत से यह लैब 2014 में तैयार हुई।

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आपको बता दें कि यह BSL-4 लैब 300 स्क्वायर मीटर में बनी है।  इसने जनवरी, 2018 में काम करना शुरू कर दिया। यहां BSL-3 मानक‌ की 2, जबकि BSL-2 मानक की 20 लैब हैं।

इसी institute में कोरोना (corona) को लेकर अध्ययन की बात कही जाती है। हर रोज नए खुलासे सामने आते हैं।

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