जोधपुर : 562 साल की हुई राव जोधा की बसाई राजस्थान की ‘नीली नगरी’

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562 साल! जी हां, राजस्थान की नीली नगरी यानी blue city कहे जाने वाले जोधपुर (jodhpur) की स्थापना  आज ही के दिन यानी 12 मई को सन् 1459 में हुई थी।

आपको बता दें कि राजस्थान (Rajasthan) के इस खूबसूरत और रंग रंगीले शहर की स्थापना राठौड़ वंश के शासक राव जोधा (Rao jodha) ने की थी।

Jodhpur के संस्थापक राव जोधा। (फाइल फोटो)
Jodhpur के संस्थापक राव जोधा। (फाइल फोटो)

उनके जोधा नाम पर ही जोधपुर का नाम पड़ा। आपको बता दें कि जोधपुर (jodhpur) ऐतिहासिक रजवाड़े की राजधानी भी हुआ करता था।

जोधपुर का पुराना शहर यहां के मेहरानगढ़ किले (mehrangarh fort) की दीवार के साथ साथ बसा हुआ है।

जोधपुर थार के रेगिस्तान (thar desert) के बीच शानदार महलों, किलों और खूबसूरत पर्यटन स्थलों लिए मशहूर है।

न केवल देश, बल्कि दुनिया भर से पर्यटक जोधपुर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा जोधपुर की पहचान महलों और पुराने घरों में लगे छितर के पत्थरों से भी है।

यह राजस्थान का महानगर और दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसकी जनसंख्या करीब 42 लाख है। इसमें पुरुषों और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर है।

आपको बता दें कि राजस्थान की हाईकोर्ट (high court of Rajasthan) जोधपुर में है। यहीं, इंटरनेशनल एयरपोर्ट (international airport) भी स्थित है।

आपको बता दें कि दिन भर सूरज की चमक के बीच रहने वाले जोधपुर को सूर्य नगरी (sun City) के नाम से भी पुकारा जाता  है।

मेहरानगढ़ किले के चारों तरफ बने हजारों नीले मकानों की वजह से ही जोधपुर को नीली नगरी कहा जाता है।

यहां का हैंडीक्राफ्ट तो शानदार है ही, लोक नृत्य (folk dance) और लोक संगीत (folk music) ऐसा है, जो किसी के भी कानों में रस घोल दे। उसे वाद्ययंत्र की धुन पर थिरका दे।

आपको ज्यादातर लोग यहां पारंपरिक पहनावे मसलन पुरुष कुर्ता और पगड़ी पहने और महिलाएं रंग बिरंगी पोशाक में नजर आती है।

मेहरानगढ़ किला न केवल जोधपुर बल्कि पूरे राजस्‍थान की शान है। यह सबसे खूबसूरत किलों में से एक है।

125 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मेहारानगढ़ पांच किलोमीटर लंबा और भव्य किला है। इसके अलावा जोधपुर में जसवंत थड़ा, उम्मेद भवन पैलेस भी देखने लायक हैं।

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अब जरा झीलों पर आएं।  बालसंमद झील, कायलाना झील की सैर अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। सैलानियों के लिए तो जोधपुर स्वर्ग है।

काश! यह नगरी हजारों साल सैलानियों का  यूं ही दिल खोलकर इस्तकबाल करती रहे।

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