Caste के चक्कर में उलझे उत्तराखंड में क्या दूर होंगी लोगों की मूलभूत दिक्कतें

1 min read

उत्तराखंड में फिर नई सरकार है। लेकिन सवाल अब भी पुराने हैं। मुद्दे मूलभूत सुविधाओं के हैं जाति (caste) के हैं। क्या पहाड़ वालों की दिक्कतें दूर होंगी?

ऐसे ही कुछ सवाल पत्रकार मनमीत के भी हैं। पढ़िए उनकी खरी खरी-

‘देखो उत्तराखंडियो, खासकर पहाड़ियों। मुख्यमंत्री रावत बने, पोखरियाल बने, ठाकुर बने या ब्राह्मण। जौनसारी बने, गढवाली बने या कुमाउंनी।

न तुम्हारे गांव के नजदीक हेल्थ सेंटर में डाक्टर तैनात होना है और न ही तुम्हारे बच्चों की नौकरी लगनी है।

चमोली और पिथौरागढ के किसी ठाकुर की मां या किसी ब्राह्मण का पिता अगर खेत में काम करते हुये खुदा ना ख़्वास्ता जख्मी हो जाये, तो याद रखना पहले सैकड़ों किलोमीटर धक्के खाकर जिला अस्पताल पहुंचना है।

वहां भी जिला अस्पताल के स्टाफ ने रेफर देहरादून या हल्द्वानी ही करना है और दून अस्पताल पहुंचकर कितना भी ठाकुरपने में मुंछों पर ताव दे देना या परशुराम बन जाना, तुम्हारे जाति (caste) भाई ने एमआरआई मशीन यहां भी सरकारी अस्पताल में ठीक नहीं करवाई है।

क्योंकि वो अपनी सत्ता बचाने में ही व्यस्त रहा और इस बीच उसे तुम्हारी जाति का भी ख्याल ही नहीं रहा।

अब तुम जाओ इलाज कराने मैक्स या फोर्टिस। वहां करना मैं वहां का रावत या वहां का ब्राहमण। वहां कर लेना जमकर जातिवाद। और अगर चल जाये तो तुम्हारा जूता और मेरा सिर।

खोट नेताओं में नहीं, किसी राजनीतिक दल में भी नहीं है। खोट तुममें है। तुम्हारे सामाजिक तानेबाने में है।

अगर आज के वक्त में तुम्हें अपनी जाति (caste) का मुख्यमंत्री चाहिये तो फिर तुम उस क़बीलाई समाज का प्रतिनिधित्व करते हो, जिससे गुजरकर तुम्हारे पुरखों ने इतिहास की कंदराओं से निकल कर तुम्हे लोकतंत्र के लिये लायक बनाने की कवायद की।

लेकिन तुम क्या निकले? वहीं कबीले की सोच वाले। हमारी जाति (caste), हमारा गोत्र, हमारा कुटुंब और हमारा गांव। क्या मिला आखिर तुम्हें। महज आत्म सुख, जाति का सुख, एक खोखला आनंद।

रैणी गांव (raini village) में जब मौत टूटी तो क्या उसने जातिवाद किया? केदारनाथ (kedarnath) में जब प्रलय आई तो क्या उसने जाति (caste) या क्षेत्र (area) देखकर अपना शिकार किया।

जब कोई अस्पताल (hospital) बनेगा तो वो ठाकुरों या ब्राहमण या किसी अनुसूचित जाति के लिये नहीं बनेगा। सबके लिये बनेगा न।

क्या कोई अस्पताल कभी ये कहता है कि फलाणा क्षेत्र का मरीज यहां भर्ती नही होगा। तो फिर क्यों मिलकर संगठित नहीं हो जाते।

यह भी पढ़ें-

https://khaskhabar24.com/teerath-singh-rawat-will-be-new-cm-of-uttarakhand/

जो लोग धर्म (religion) के नाम पर वोट देते हैं। सुनो मेरे भाई, कोई धर्म खतरे में नहीं है। खतरे में तुम हो।

अपने को बचाओ और अपने परिवार की सुध लो। आने वाली पीढ़ियां कभी ये याद नहीं रखेंगी कि तुमने उनके लिये मंदिर या मस्जिद विरासत में छोडी है।

वो याद रखेगी कि तुमने उनके लिये क्या साहित्य, कला, प्रेम, स्कूल, विश्वविघालय और खेल के मैदान बनाकर छोडे हैं?

कितने पुस्तकालय खडे किये हैं? समाज इनसे बनता है। आज से हजारों साल पहले के सभ्यता की दीवारों पर उकेरी कला, लिपि और औजार जमीन खोदने पर महफूज मिलते हैं। लेकिन उस समय के सभी धर्म नष्ट हो गये हैं न। तो फिर सोचो क्या जरूरी है?

बस करो अब…

मनमीत की फेसबुक वॉल Facebook wall https://www.facebook.com/chemanmeet

पर भी इस लेख को पढ़ा जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *