गुलशन कुमार : जूस की दुकान से शुरू होकर संगीत मुगल बनने तक का सफर
1 min readगुलशन कुमार (gulshan Kumar) का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। वे जूस की दुकान से शुरू कर एक रोज संगीत मुगल कहलाए। जानते हैं ये सफर।
आपको बता दें कि गुलशन कुमार (gulshan Kumar) का जन्म 5 मई, 1956 को नई दिल्ली (new Delhi) में हुआ था। वे किसी अमीर परिवार में पैदा नहीं हुए थे।
उनके पिता की दरियागंज (daryaganj) में जूस की दुकान थी। गुलशन कुमार भी एक अच्छे बेटे की तरह पिता का हाथ बंटाया करते थे।
इसके कुछ समय बाद उनके पिता ने ऑडियो कैसेट्स (audio cassettes) की दुकान शुरू की तो गुलशन कुमार का पूरा दिन उसी में बीतने लगा।
ये वह समय था, जब आडियो रिकार्ड महंगे बिक रहे थे। गुलशन कुमार को आइडिया सूझा कि मशहूर गायकों के शानदार गीतों को नए गायकों की आवाज में गवाकर इन्हें सस्ते से सस्ते में लोगों तक पहुंचा दिया जा सकता है।
उनका यह प्रयोग लोगों को पसंद आया और मोहम्मद रफ़ी के गाए गाने नए गायक सोनू निगम की आवाज में लोगों तक पहुंचे।
अनुराधा पौडवाल ने लता के गीतों को सुर दिए। इसी तरह कई नए गायक उभरकर सामने आए। इस सफलता से उत्साहित हो अब गुलशन कुमार ने नोएडा में सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज की स्थापना की।
अपना ब्रांड टी-सीरीज (T-series) इसके बाद वे मुंबई शिफ्ट हो गए। उन्होंने इसके साथ ही फिल्म निर्माण शुरू किया। संगीत उनकी फिल्मों का सबसे मजबूत पक्ष था।
उन्होंने अपने जीवन में 17 फिल्में बनाईं, जिनमें से एक बेवफा सनम को उन्होंने डायरेक्ट भी किया।
इन फिल्मों में लाल दुपट्टा मलमल का, आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, आई मिलन की रात, बहार आने तक, आजा मेरी जान, सूर्य पुत्र शनिदेव आदि शामिल थीं।
बेवफा सनम और आजा मेरी जान फिल्मों के जरिए गुलशन कुमार ने अपने भाई किशन कुमार को बतौर हीरो जमाने की असफल कोशिश की।
फिल्म के गाने बहुत हिट रहे लेकिन कृष्ण कुमार की अदायगी लोगों को पसंद नहीं आई। गुलशन कुमार दिन रात सफलता की नई ऊंचाई छूने रहे थे।
इसी बीच उनसे माफिया डॉन डी कंपनी ने 10 करोड़ की रंगदारी मांगी। इसके बाद एक रोज वे मुंबई में अपने घर से कुछ ही दूर जीतेश्वर महादेव मंदिर के आगे थे, जब डी कंपनी के शूटर्स ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
उन्हें 16 बार शूट किया गया। उनका ड्राइवर उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा था। उसके पैरों पर भी गोली मारी गई।
घायल अवस्था में गुलशन कुमार (gulshan Kumar) ने आसपास की झोपड़पट्टी के दरवाजे खटखटाए, लेकिन सभी लोगों ने अपने दरवाजे बंद कर दिए।
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बताया जाता है कि माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के इशारे पर यह सब हुआ था। गुलशन कुमार (gulshan Kumar) इस दुनिया में नहीं, लेकिन टी सीरीज आज भी सुरीला संगीत बिखेर रहा है।
इसे उनके भाई किशन कुमार और पुत्र भूषण कुमार (bhushan Kumar) चला रहे हैं। उनकी बेटियां तुलसी और खुशहाली भी अच्छी सिंगर हैं।