इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला क्यों हुआ था धौलीगंगा में हादसा

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चमोली जिले में हादसा ग्लेशियर टूटने से नहीं, बल्कि हिम स्खलन (snow slide) की वजह से हुआ था। इसरो (isro) की सैटेलाइट इमेजेज से यह पता चला है।

इसरो (isro) यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने यह सैटेलाइट इमेजेज (satellite images) जारी किए हैं।

इनसे पता चला है कि चमोली में धौली गंगा नदी (dhauli ganga river) के उद्गम (origin) नंदा देवी के पहाड़ों पर पिछले 2 फरवरी से 5 फरवरी तक भारी बर्फबारी हुई थी।

इसकी वजह से पहाड़ों पर भारी संख्या में बर्फ जमा हो गई थी। जब 6 फरवरी को मौसम खुला तो बर्फ का पूरा हिस्सा नीचे खिसक गया। यह सेटेलाइट इमेज में साफ दिखाई दे रहा है।

उत्तराखंड (uttarakhand) के आपदा प्रबंधन (disaster management) विभाग की ओर से केंद्र से इसरो इंटरनेशनल चार्टर (isro international charter) लागू करने का अनुरोध किया गया था।

इसके बाद जानकारी मिली कि अमेरिका की प्राईवेट अर्थ ईमेज कंपनी प्लेनेट लैब (planet labs) जो सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया बेस्ड है, उसका सेटेलाइट आपदा क्षेत्र के ऊपर से गुजर रहा था।

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उससे मिली इमेजेज में यह साफ हो गया कि बीती 2 फरवरी से 5 फरवरी तक हुई बर्फबारी से ताजा बर्फ ग्लेशियर के चट्टान वाले हिस्से पर जमनी शुरू हो गई थी।यह बर्फ मौसम साफ होने के बाद एक साथ नीचे फिसल गई थी।

आपको बता दें कि 7 फरवरी, 2021 को आई आपदा में तपोवन (tapovan) विष्णु गाड प्रोजेक्ट को बड़ा नुक़सान पहुंचा, जबकि ऋषिगंगा (rishiganga) प्रोजेक्ट पूरी तरह ध्वस्त हो गया था।

नदी किनारे रहने वालों को खास तौर पर सतर्क किया गया था। ऋषिकेश, हरिद्वार तक गंगा का जलस्तर बढ़ने को लेकर अलर्ट जारी किया गया था।

आपको बता दें कि इस हादसे में अब तक 26 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि 197 लोग अभी भी लापता हैं।

एनटीपीसी (NTPC) की टनल (tunnel) के भीतर करीब 35 लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। राहत और बचाव कार्य अभी चल रहा है।

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