हिमालय में बर्फ के भी होते हैं कई रूप, जानिए स्नो और आइस का अंतर

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हिमालय में बर्फ (snow in the Himalaya) के भी कई रूप होते हैं। ज्यादातर लोग स्नो और आइस के अंतर को नहीं समझते। आज हम आपको इसी की जानकारी देंगे।

यह तो आप जानते ही हैं कि हिमालय में बर्फ (snow in the Himalaya) अलग अलग तरह की गिरती है। यहीं बर्फ उसकी चोटियों और उन चोटियों के नीचे पसरे ग्लेशियरों का पोषण करती है।

बर्फ को ‘स्नो’ और ‘आइस’ के रूप में थोड़ा आसानी से समझा जा सकता है। आपको बता दें कि ‘स्नो’ उस ताजा गिरी बर्फ को कहते हैं जो किसी ग्लेशियर या जमीन के टुकड़े पर एक ताजा परत बनाती है।

वहीं, हजारों सालों से परत दर परत दब कर सख्त हुई बर्फ को ‘आइस’ कहा जाता है। ‘स्नो’ देखने में नर्म, मुलायम और सफ़ेद होती है, जबकि ‘आइस’ भूरा या मटमैला रंग लिए किसी चट्टान की तरह ठोस होती है।

पहाड़ों की तीखी ढलानों पर अक्सर ताजा गिरी बर्फ यानी स्नो की परतें गुरुत्वाकर्षण (gavity) के चलते स्खलित हो जाती है।

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ये तेजी के साथ घाटियों में एक सीमा तक जाकर किसी ग्लेशियर में विलीन हो जाती है। यही घटनाएं एवलांच (avalanche) यानी हिमस्खलन कहलाती हैं।

आम तौर पर 5000 मीटर की ऊंचाई से ऊपर बारिश बहुत ही कम होती है। वहां बर्फ ही गिरती है। ऐसे में हमेशा बर्फीले तूफान यानी एवलांच का खतरा बना रहता है।

अन्य ग्लेशियरों की स्थिति भी कमोबेश यही होती है। लेकिन आपको बता दें कि घाटी में ग्लेशियर का स्वभाव इससे बिलकुल अलग होता है।

घाटी के ग्लेशियरों से दुनिया की ज़्यादातर मीठे पानी की जल धाराएं फूटती है, के टूटने या दरकने के कारण भी अलग होते हैं।

ये ग्लेशियर धीरे धीरे रिसते रहते हैं और भूमिगत जल स्तर की खुराक पूरी करने के अलावा एक जलधारा के रूप में आगे जाकर किसी गदेरे या नदी का रूप ले लेते हैं।

आपने देखा होगा सर्दियों में जब तापमान शून्य से नीचे चला जाता है उस दौरान नदियों का जल स्तर बहुत कम हो जाता है।

लेकिन गर्मी और बरसात के दौरान वही नदियां उफान पर होती है। उसका कारण यह है कि तापमान के शून्य के नीचे जाते ही ग्लेशियरों से पानी रिसने की प्रक्रिया न के बराबर हो जाती है।

तापमान बढ़ते ही या बारिश होने की स्थिति में ग्लेशियर बड़ी तेजी से पिघलते हैं और पानी के साथ-साथ मिट्टी, पत्थर को भी नदियों में बहा देते हैं।

तेजी से बढ़े तापमान और भारी बारिश की वजह से ग्लेशियर दरक जाते हैं। यही बाढ़ और भूस्खलन का कारण बनते हैं।

चमोली जिले में आई आपदा के पीछे कई थ्योरी मानी जा रही है। लेकिन फिलहाल इसे ग्लेशियर के टूटने से नहीं माना जा सकता।

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