झंडा मेले में 345 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा, 6 मिनट में हुआ झंडा जी का आरोहण
1 min readउत्तराखंड की राजधानी देहरादून के ऐतिहासिक झंडा (jhanda) मेले में 345 साल का रिकॉर्ड टूट गया। झंडा जी का आरोहण केवल छह मिनट में कर दिया गया।
आम तौर पर इस प्रक्रिया में हमेशा 35-40 मिनट का समय लगता ही था। आपको बता दें कि होली के पांचवें दिन से झंडा (jhanda) मेले का आरंभ होता है।
लेकिन इस साल यानी 2021 में दो अप्रैल, शुक्रवार को झंडा जी के आरोहण के साथ ही मेरे को स्थगित कर दिया। साथ ही श्रद्धालुओं को लौटाया जाने लगा।
ऐसा कोरोना (corona) के लगातार बढ़ते हुए केसों के मद्देनजर किया गया। साल 2020 में भी झंडा मेले का आयोजन नहीं हो सका था।
उधर, शुक्रवार दोपहर दो बजकर, छह मिनट पर धार्मिक अनुष्ठान के साथ गुरु महाराज श्री महंत देवेंद्र दास (mehant Devendra day) की अगुवाई में झंडे जी का आरोहण प्रारंभ किया गया।
ठीक दो बजकर, 12 मिनट पर उन्हें निर्धारित स्थान पर स्थापित कर दिया गया। इस वक्त श्री दरबार साहिब के दोनों द्वार बंद रखे गए।
आपको बता दें कि मेला समिति और जिला प्रशासन की अपील के मद्देनजर मेले में श्रद्धालु काफी कम संख्या में पहुंचे।
अमूमन झंडा आरोहण के वक्त जिस झंडा बाजार, सहारनपुर चौक, भंडारी बाग चौक, झंडा तालाब में पैर रखने की जगह नहीं होती थी वहां लोग आसानी से इधर-उधर घूमते दिखे।
जैसे ही झंडा जी का आरोहण हुआ श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया और जयकारे लगाए। इससे पूर्व झंडा जी का पूजन आदि की प्रक्रिया सुबह 7:00 बजे से शुरू हुई।
पुराने झंडे जी को उतारा गया और 86 फीट ऊंचे नए झंडे जी का दूध, घी, शहद, गंगाजल और पंचगव्य से स्नान कराया गया।
इसके बाद पहले सादे और फिर शनील के खिलाफ चढ़ाए गए। सबसे आखिर में दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया।
झंडे जी के आरोहण में पंजाब से आई संगतो की मुख्य भूमिका रही। संगत का ड्रेस कोड पीली टीशर्ट भी सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा।
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आपको बता दें कि दरबार साहिब में केवल उन्हीं को प्रवेश दिया गया, जिनके पास rt-pcr नेगेटिव रिपोर्ट थी बाकी सभी को बाहर रखा गया।