महाशय धर्मपाल जैसा कोई नहीं, महज पांचवी पास थे, करोड़ों में थी सैलरी

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महाशय (mahashay) धर्मपाल ने बृहस्पतिवार को इस दुनिया में आखिरी सांस ली। क्या आप जानते हैं कि मसाला कंपनी एमडीएच का  यह मालिक महज पांचवी पास था।

जी हां। इससे आगे की पढ़ाई महाशय धर्मपाल ने नहीं की। इसके बावजूद अपने अनुभव से वह व्यापार में बड़ों बड़ों को मात देते थे।

बतौर सीईओ उनकी सैलरी करोड़ों में थी। कुछ समय पूर्व हुए एक सर्वे के अनुसार वह किसी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स कंपनी के सीईओ के बतौर सर्वाधिक 21 करोड़ की सैलरी सालाना ले रहे थे।

यह बात अलग है कि इसका 90 फीसदी हिस्सा वह चुन्नी लाल चैरिटेबल ट्रस्ट को दान कर देते थे, जिसकी स्थापना उनके पिता चुन्नी लाल गुलाटी के नाम पर की गई थी।

आपको बता दें कि महाशय धर्मपाल का जन्म स्यालकोट (अब पाकिस्तान) में 27 मार्च, 1923 को हुआ था। वहां उनके पिता चुन्नी लाल गुलाटी की मसालों की छोटी सी दुकान थी।

सन् 1947 में भारत का बंटवारा होने के बाद चुन्नी लाल गुलाटी परिवार के साथ भारत आ गए। यहां वह कुछ समय अमृतसर के रिफ्यूजी कैंप में रहे और उसके बाद काम की तलाश में दिल्ली आ गए।

यहां कुछ समय महाशय (mahashay) धर्मपाल ने तांगा भी चलाया। इसके बाद कुछ पैसा इकट्ठा कर करोल बाग में मसालों की दुकान खोल ली। 1953 में चांदनी चौक में किराए पर दुकान ली और सन् 1959 में कीर्ति नगर में जमीन लेकर यहां  मसालों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगा दी।

उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें सन् 2019 में तीसरे सबसे बड़े सिविलयन सम्मान पद्मभूषण से भी नवाजा।

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों उन्होंने यह पुरस्कार लिया। अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी महाशय धर्मपाल गुलाटी बेहद मशहूर थे। उनके विज्ञापन तक में सामाजिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती थी। उनकी सहृदयता के किस्से भी बहुत मशहूर हैं।

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