निरुपा रॉय : जानिए उन्हें अपनी मां से छिप छिपकर क्यों मिलना पड़ता था
1 min readनिरूपा राय (nirupa roy) को फिल्मों में दुखियारी मां के रोल मिलते रहे। क्या आप जानते हैं कि उन्हें अपनी मां से छिप-छिपकर मिलना पड़ता था।
दरअसल, निरुपा रॉय (nirupa roy) के पिता किशोर उनके फिल्मों में काम करने के सख्त खिलाफ थे।
निरुपा की पहली फिल्म गुजराती में 1946 में रिलीज हुई थी, रनक देवी। निरुपा के परिजनों को इसका पता चला।
धीरे धीरे सभी ने उनके एक्टिंग के करियर को स्वीकार लिया। लेकिन उनके पिता उनसे मरते दम तक नाराज़ रहे।
एक बार निरुपा ने खुद एक इंटरव्यू में इस बात को भरे मन से स्वीकारा कि उन्हें पिता की नाराज़गी के चलते अपनी मां से छिप-छिपकर मिलना पड़ता था।
आपको बता दें कि निरुपा रॉय का जन्म गुजरात के वलसाड में 4 जनवरी, 1931 को हुआ था। उनके पिता किशोरचंद्र बलसारा ने उनका नाम कांता (kanta) रखा।
वह एक रेलवे कर्मचारी थे। उन्होंने केवल 14 साल की उम्र में उनकी शादी कमल नाम के एक शख्स से कर दी, जो राशनिंग इंस्पेक्टर थे। उन्होंने उनका नाम कांता से बदलकर कोकिला रख दिया।
शादी के बाद निरुपा पति के साथ मुंबई चली गईं। बताया जाता है कि उनके पति फिल्मों में एक्टिंग में दिलचस्पी रखते थे।
एक रोज उन्होंने अखबार में विज्ञापन देखा कि गुजराती प्रोडक्शन हाउस में कलाकारों की जरूरत है।
वह पत्नी के साथ वहां पहुंच गए। फिल्म डायरेक्टर ने निरुपा को देखते ही उन्हें लीड रोल ऑफर कर दिया। और निरुपा नाम से उन्होंने फिल्मी सफर शुरू कर दिया।
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने हर हर महादेव, अमर सिंह राठौर, रानी रूपमती जैसी अनेकों फिल्मों में काम किया।
बढ़ती वय में उन्हें मां के रोल मिलने लगे। और अमिताभ के साथ तो उन्होंने इतनी फिल्मों में काम किया कि वे ‘अमिताभ की मां’ के रूप में मशहूर हो गईं। जैसे अमर अकबर एंथोनी, मर्द, सुहाग, दीवार आदि।
उनके हिस्से मां के रूप में दुख और कष्ट भरे किरदार ज्यादा आए। इसीलिए उन्हें ‘क्वीन आफ मिजरी’ कहकर भी पुकारा गया।
जब 2004 में उन्होंने दम तोड़ा तो अमिताभ ने संवेदना जताते हुए लिखा कि आज मैंने अपनी मां को खो दिया।