संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारी, मौत, किसानों के धरने में शामिल थे

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किसानों के धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह (sant baba Ram Singh) ने बुधवार को खुद को गोली मार ली। बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

संत बाबा राम सिंह (sant baba Ram Singh) हरियाणा (haryana) के करनाल (karnal) के रहने वाले थे।

मौके से उनका एक सुसाइड नोट (suicide note) भी बरामद हुआ है। उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उनके हक के लिए आवाज बुलंद की है।

संत बाबा राम सिंह किसान थे। इसके साथ ही वह हरियाणा एसजीपीसी (SGPC) के नेता भी थे।

किसान आंदोलन में नानकसर सिंगड़ा वाले संत बाबा राम सिंह  एक दिन पहले ही दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर पाठ भी किया था।

उन्होंने कहा था कि सरकार को किसानों की मांगें मान लेनी चाहिए। संत बाबा राम सिंह के सेवादार गुरमीत सिंह की ओर से घटना की पुष्टि की गई।

बताया जाता है कि संत बाबा राम सिंह  के हरियाणा (haryana) और पंजाब (Punjab) में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में लाखों की तादाद में अनुयायी हैं।

इससे पहले, कुंडली बॉर्डर पर केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन में मंगलवार को एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।

पंजाब के मोगा जिले के गांव भिंडर कलां के निवासी मक्खन खान (42) अपने साथी बलकार व अन्य के साथ तीन दिन पहले कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए आए थे।

आपको बता दें कि नए कृषि कानूनों (agriculture laws) के विरोध में पिछले करीब तीन हफ्तों से दिल्ली के बॉर्डर पर दिल्ली, हरियाणा से आए किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस बीच कई दौर की वार्ता भी हुई है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच कोई आम सहमति नहीं बन सकी है।

किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अडिग हैं। इधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर  (Narendra Singh tomar) ने कहा कि इस मामले में पंजाब के किसान संगठनों सहित देश के कई किसान संगठनों से हमारी बातचीत चल रही है। उन्होंने जल्दी ही इसका समाधान निकालने  का दावा किया।

संत बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट में क्या लिखा-

किसानों का दुख देखा है। अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है। सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है। जो कि जुल्म है। जो जुल्म करता है, वह पापी है। जुल्म सहना भी पाप है। किसी ने किसानों के हक के लिए, तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है, किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है। किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है। यह जुल्म के खिलाफ आवाज है। यह किसानों के हक के लिए आवाज है। वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह…।

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