राम मंदिर ओरछा, जहां राजा राम को दिन में चार बार गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है
1 min readओरछा का राजा राम मंदिर (Ram mandir) दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां राजा राम को दिन में चार बार गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।
मंदिर के बारे में कुछ ऐसी ही विशेष बातें बता रहे हैं अमृत उदासीन (Amrit udaseen)। वह लिखते हैं.…
ओरछा स्थित राम मंदिर (ram mandir) राजा राम चंद्र का एक ऐसा मंदिर है जहां राम की पूजा भगवान के तौर पर नहीं बल्कि राजा के रूप में की जाती है।
मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित ओरछा के राजा राम मंदिर (ram mandir) में राजा राम को सूर्योदय के उपरांत और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है। इस सलामी के लिए मध्य प्रदेश पुलिस के जवान तैनात होते हैं।
राजा राम मंदिर (ram mandir) देखने में किसी राज महल सा प्रतीत होता है। मंदिर की वास्तुकला बुंदेला स्थापत्य का सुंदर नमूना नजर आता है।
कहा जाता है कि राजा राम की मूर्ति स्थापना के लिए चतुर्भुज मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था। मंदिर बनने से पहले इसे कुछ समय के लिए महल में स्थापित किया गया। लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति को उसके स्थान से हिला नहीं पाया।
इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर। आज इस महल के चारों ओर शहर बसा है।
हर रोज आते हैं राजा राम यहां पर कहा जाता है कि यहां राजा राम हर रोज अयोध्या से अदृश्य रूप में आते हैं। रात्रि में शयन के लिये अयोध्या जाते हैं।
ओरछा शहर के मुख्य चौराहा के एक तरफ राजा राम मंदिर (ram mandir) है तो दूसरी तरफ ओरछा का प्रसिद्ध किला।
राम मंदिर (ram mandir) में राजा राम, लक्ष्मण और माता जानकी की मूर्तियां स्थापित हैं। इनका श्रंगार अद्भुत होता है। मंदिर का प्रांगण काफी विशाल है। चूंकि ये राजा का मंदिर है इसलिए इसके खुलने और बंद होने का समय भी तय है।
सुबह में मंदिर नौ बजे से दोपहर एक बजे तक आम लोगों के दर्शन के लिए खुलता है। इसके बाद शाम को मंदिर सात बजे दुबारा खुलता है।
रात को साढ़े दस बजे राजा शयन के लिए चले जाते हैं। मंदिर में प्रातःकालीन और सांयकालीन आरती होती है जिसे आप देख सकते हैं। देश में अयोध्या के कनक मंदिर के बाद ये दूसरा भव्य राम मंदिर (ram mandir) है।
मंदिर परिसर में फोटोग्राफी निषेध है। मंदिर का प्रबंधन मध्य प्रदेश शासन के हवाले है। पर लोकतांत्रिक सरकार भी ओरछा में राजाराम की हूकुमत को सलाम करती है। यहां पर लोग राजा राम के डर से रिश्वत नहीं लेते भ्र्ष्टाचार से डरते हैं।
कहा जाता है कि संवत 1600 में तत्कालीन बुंदेला शासक महाराजा मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुअंरि गणेश राजा राम को अयोध्या से ओरछा लाई थीं।
एक दिन ओरछा नरेश मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरि से कृष्ण उपासना के इरादे से वृंदावन चलने को कहा। लेकिन रानी तो राम की भक्त थीं। उन्होंने वृंदावन जाने से मना कर दिया। गुस्से में आकर राजा ने उनसे यह कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो जाकर अपने राम को ओरछा ले आओ। रानी ने अयोध्या पहुंचकर सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपनी कुटी बनाकर साधना आरंभ की।
इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधना रत थे। संत से आशीर्वाद पाकर रानी की आराधना और दृढ़ होती गई। लेकिन रानी को कई महीनों तक राजा राम के दर्शन नहीं हुए। वह निराश होकर अपने प्राण त्यागने सरयू की मझधार में कूद पड़ी। यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें राजा राम के दर्शन हुए। रानी ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया।
उस समय मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने शर्त रखी थी कि वे ओरछा तभी जाएंगे, जब इलाके में उन्हीं की सत्ता रहे और राजशाही पूरी तरह से खत्म हो जाए। तब महाराजा शाह ने ओरछा में ‘रामराज’ की स्थापना की थी, जो आज भी कायम है।
मंदिर के प्रसाद में पान का बीड़ा –
राजा राम मंदिर में प्रशासन की ओर से प्रसाद का काउंटर है। यहां 20रुपये का प्रसाद मिलता है। प्रसाद में लड्डू और पान का बीड़ा दिया जाता है। हालांकि मंदिर के बाहर भी प्रसाद की तमाम दुकाने हैं जहां से आप फूल प्रसाद आदि लेकर मंदिर में जा सकते हैं। मंदिर के बाहर जूते रखने के लिए निःशुल्क काउंटर बना है। राजा राम मंदिर में रामनवमी बड़ा त्योहार होता है।
बेल्ट लगाकर नहीं जा सकते-
आप राजा राम के मंदिर के अंदर बेल्ट लगाकर नहीं जा सकते हैं। इसके पीछे बड़ा रोचक तर्क ये दिया जाता है कि राजा के दरबार में कमर कस कर नहीं जाया जा सकता है। यहां सिर्फ राजा राम की सेवा में तैनात सिपाही ही कमरबंद लगा सकते हैं। आप जूता घर में अपना बेल्ट जमा करके फिर मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।
राजा राम के मंदिर की मूर्तियों के बारे में कहा जाता है कि ये अयोध्या से लाई गई हैं। महारानी की कहानी के मुताबिक उनकी तपस्या के कारण राजा राम अयोध्या से ओरछा चले आए थे। पर स्थानीय बुद्धिजीवी मानते हैं कि बाबर के आदेश पर अयोध्या में राम मंदिर तोड़े जाने के बाद अयोध्या के बाकी मंदिरों की सुरक्षा का सवाल उठने लगा।
ऐसी स्थित में कई मंदिरों की बेशकीमती मूर्तियों को ओरछा में लाकर सुरक्षित किया गया। ऐसा कहा जाता है कि ओरछा के ज्यादातर मंदिरों में जो मूर्तियां हैं वे अयोध्या से लाई गई हैं।