तीरथ सिंह रावत होंगे उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री, विधायक दल की बैठक में मुहर

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उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (teerath Singh rawat) होंगे। तीरथ सिंह रावत (teerath Singh rawat) पहले प्रदेश के शिक्षा मंत्री रह चुके हैं।

आपको बता दें कि वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। साफ-सुथरी छवि वाले तीरथ सिंह रावत के नाम का सुझाव खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (trivendra Singh rawat) ने विधायक दल की बैठक में रखा था, जिसे अनुमोदित कर दिया गया

आपको बता दें कि इससे पहले गैरसैंण (gairsain) मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की गले की फांस बन गया।

इससे जुड़े फैसलों को लेकर पैदा हुआ विरोध ही उनके जाने का कारण बन गया।

सड़क चौड़ीकरण को लेकर चल रहे आंदोलनकारियों के गैरसैंण (gairsain) कूच के  दौरान उन पर दिवालीखाल में हुआ लाठीचार्ज उनकी सरकार को ले डूबा।

केवल पुलिस (police) पर नहीं, उत्तराखंड (uttarakhand) की त्रिवेंद्र सरकार (trivendra government) पर भी इस मामले को लेकर संवेदनशीलता न दिखाने के आरोप लगे। उन पर सवाल उठे।

जहां एक ओर पूरे राज्य में सड़कों का जाल बिछाए जाने की उपलब्धियों को गिनाया जा रहा था, वहीं, दूसरी ओर सड़क की मांग पर इतना बड़ा आंदोलन हुआ और बातचीत न कर लाठी चार्ज (lathi charge) करके सरकार ने किरकिरी करा ली।

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कार्रवाई के नाम पर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए, जो किसी को हजम नहीं हुआ। सवाल यह था कि यदि मजिस्ट्रेट ने आदेश नहीं दिए तो लाठीचार्ज कैसे हुआ और यदि आदेश दिए गए तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

अगला मामला गैरसैंण को कमिश्नरी (commissioneret) बनाए जाने और अल्मोड़ा (almora) को इसके अंतर्गत लाए जाने से गर्म हो गया।

पूरे कुमाऊं (kumaon) में इस फैसले का घोर विरोध हुआ। खुद गढ़वाल में भी लोगों ने गैरसैंण को जिला बनाए बगैर कमिश्नरी घोषित कर दिए जाने पर आश्चर्य जताया।

उनके मुताबिक इसका हश्र गढ़वाल, कुमाऊं जैसा होना था। कमिश्नर अपना कैंप कार्यालय सुविधाजनक जगह खोलकर मुख्य स्थान की ओर से आंख मूंद लेते।

यह भी कहा गया कि इस मामले में मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों को विश्वास में नहीं लिया। इससे उनमें असंतोष पनप रहा था।

कमिश्नरी बनाने को लेकर सरकार निशाने पर थी, उस पर बेलगाम नौकरशाही उनके लिए मुसीबत बन गई।

विधायक और मंत्रियों की शिकायत उनके अधिकारियों को लेकर थी। वह उनकी नहीं सुन रहे थे। यही बाद में उनकी नाराजगी में बदल गया। जिसका पटाक्षेप मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के रूप में हुआ।

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