वरुण गांधी 41 साल के हुए, राजनीतिज्ञ ही नहीं बेहतरीन लेखक भी, तीन किताबें आ चुकीं
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वरुण गांधी (Varun Gandhi) 13 मार्च, 2021 को 41 साल के हो गए। कम ही को पता होगा कि वह एक राजनीतिज्ञ के साथ ही बेहतरीन कवि/लेखक भी हैं।
उनका नाम उनके दादा के नाम पर फिरोज वरुण गांधी (feroze Varun Gandhi) रखा गया। इस वक्त वे पीलीभीत (pilibhit) से भाजपा (BJP) के सांसद (MP) हैं।
वरुण का जन्म 13 मार्च, 1980 में हुआ। वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (india Gandhi) के पोते और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल लाल नेहरू (jawahar Lal nehru) के प्रपौत्र हैं।
उनके पिता संजय गांधी की मौत जून, 1980 में हो गई थी। उस वक्त वे केवल तीन साल के थे। उनका परिवार कांग्रेसी था।
लेकिन वरुण गांधी ने अपने परिवार से अलग मां मेनका गांधी (menaka gandhi) की राह पर चलते हुए भाजपा के साथ अपनी मंजिल चुनी।
लेकिन कम ही लोगों को यह पता होगा कि वरुण एक बेहतरीन कवि और लेखक भी हैं। उनकी अभी तक तीन किताबें आ चुकी है जिनमें से दो कविताओं की किताबें हैं।
उनकी पहली किताब द अदरनेस ऑफ सेल्फ (the otherness of self) थी। उन्होंने यह किताब तब लिखी थी जब वे केवल 20 साल के थे।
![Varun Gandhi रचित तीनों किताबें।](https://khaskhabar24.com/wp-content/uploads/2021/03/Screenshot_2021-03-13-11-25-20-47.png)
यह सन 2000 की बात है। इसके ठीक चार साल बाद उनकी कविताओं का दूसरा संग्रह स्टिलनेस (stillness) हार्पर कोलिंस (Harper Collins) से 2015 में प्रकाशित हुआ।
यह किताब नॉन फिक्शन (non fiction) किताबों की श्रेणी में बेस्ट सेलिंग (best seller) रही और रिलीज के पहले 2 दिन के भीतर इसकी 10,000 प्रतियां बिक गईं।
इसके तीन साल बाद सन् 2018 में उनकी तीसरी किताब प्रकाशित हुई, जो कि ग्रामीण भारतीय अर्थव्यवस्था (rural Indian economy) पर आधारित थी।
इस किताब की पहले 10 दिनों में ही 30,000 प्रतियां बिक गईं। इस किताब का नाम A rural manifesto : releasing india’s future through her villages था।
वरुण 2009 में पहली बार सांसद बने। इसके बाद 2014 में वे सुल्तानपुर सीट से चुनाव जीते और 2019 में उन्होंने एक बार फिर पीलीभीत सांसद बनने में सफलता हासिल की।
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सन् 2013 में वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। इस पद पर चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के नेता रहे।