केदारनाथ आपदा : 2013 की 16-17 जून को याद कर आज भी सिहर जाता है दिल

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16 जून की तारीख आते ही याद आता है केदारनाथ आपदा (kedarnath disaster) का दिन। 2013 की 16-17 जून ने हजारों लोगों से उनके परिवार छीन लिए।

वे दिन याद कर उत्तराखंड वासियों का दिल आज भी सिहर जाता है। दो दिन लगातार होती रही असामान्य बरसात में हुए नुकसान के बाद प्रशासन ने इसे आपदा घोषित किया था।

इस बीच सैलाब न कितने लोगों को अपने साथ बहा ले गया। हर तरफ सिर्फ और सिर्फ तबाही का ही मंजर था।

Kedarnath disaster के बाद केदारघाटी।
Kedarnath disaster के बाद केदारघाटी।

उत्तराखंड के केदारनाथ में इस  आपदा (kedarnath disaster) ने देश और दुनिया के लोगों को हिला कर रख दिया। सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो लगभग पांच हजार से ज्यादा लोग इस त्रासदी के शिकार हुए थे।

बात 16 जून, 2013 की।‌ गौरीकुंड से केदारनाथ तक करीब 15 से 20 हजार यात्री पहुंच चुके थे। 16 जून की शाम करीब 4:30 बजे केदारनाथ के सामने भैरव शिला में लैंड स्लाइड हुआ।

उधर, तेज बारिश के चलते केदारनाथ (kedarnath) धाम में बह रही मंदाकिनी नदी (mandakini river) भी आपने रौद्र रूप में आ चुकी

16 जून, 2013 की रात 8 बजे तक में मंदाकिनी के किनारे बसे होटल, पुल आदि मंदाकिनी की तेज लहरों में बह गए ‌

केदारघाटी में सारे रास्ते तहस-नहस हो गए थे। हजारों श्रद्धालु वहां फंसे थे। अब लोगों के बहने की सूचनाएं आने लगी थी ‌

धीरे-धीरे केदारनाथ के चारों तरफ पानी बढ़ गया। रात 10 बजे तक धाम में अजीब सी शांति छा चुकी थी। किसे पता था कि ये आने वाली प्रलय का पूर्व संकेत था।

17 जून, 2013 की सुबह करीब 7 बजे केदारनाथ घाटी में स्थित चोराबाड़ी झील (chorabari) में हलचल शुरू हो गई।

यही हलचल थोड़ी देर बाद केदारघाटी पर कहर बनकर टूटी। सुबह लगभग 7:15 बजे केदारनाथ में तबाही का मंजर शुरू हुआ।

15 मिनट बीतते-बीतते रामबाड़ा (rambada), गौरीकुंड (gauri kund) तबाह हो गए। चारों ओर त्राहि त्राहि थी। सैलाब की वजह से तमाम नदियों में पानी बढ़ गया। नदी किनारे रहने वालों पर भी यह आपदा थी।

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इस आपदा में हजारों लोग गुम हुए। लोग तस्वीरें लेकर अपने अपनों को ढूंढते रहे‌। सेना की मदद ली गई। हजारों की जान लेकर गई वह आपदा कोई कैसे भूल सकता है भला?

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपने फेसबुक अकाउंट https://www.facebook.com/625450290808829/posts/4662291923791292/ के जरिए आपदा में मारे गए लोगों का पुण्य स्मरण किया।

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