पक्षियों की 88 प्रजातियां कर रहीं उत्तराखंड के केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में कलरव

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पक्षियों (birds) की 88 प्रजातियों के कलरव से उत्तराखंड का केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग गुलजार है। परिंदों (birds) की यह प्रजातियां बर्ड फेस्टिवल के दौरान सामने आई।

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक  फेस्टिवल और बर्ड वाचर कैंप आयोजित किया गया था।

इससे पहले सन् 2010 में पक्षियों की गणना की गई थी। उस समय केदारनाथ वन्थ जीव प्रभाग में पक्षियों की कुल 49 प्रजातियां यहां कलरव कर रही थी।

इस तरह देखा जाए तो दस वर्ष के अंतराल में केदारनाथ वन्य जीव  प्रभाग में पक्षियों की कुल 39 प्रजातियां बढ़ गई हैं।

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के उप वन संरक्षक अमित कंवर ने khaskhabar24.com को बताया की केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में चार दिवसीय बर्ड फेस्टिवल के आयोजन के साथ ही बर्ड वाचर्स को ट्रेनिंग दी गई थी। इसी बीच 88 प्रजातियां दूरबीन से देखी गईं।

इन प्रजातियों में हिमालयन बुलबुल,  रेड वेंटेड बुलबुल, ब्लैक हेडेड ज्वाय, कालर आउलेट, ब्लैक बुलबुल, गोल्डन बुश राबिन, हिमालयन वुडपैकर, येलो थ्राटेड टिक, ब्लैट थ्राटेड टिक, व्हाइट कालर्ड ब्लैक बर्ड, हाउस स्पैरो आदि शामिल हैं।

बर्ड वाचिंग ट्रैक जड़ी-बूटी शोध संस्थान, कांचुलाखर्क, वासुकी  नारायण ट्रैक, धोती धार भूलकरणा, गंगोल गांव सेंचुरी एरिया शामिल है।

बर्ड वाचर्स के साथ ही तमाम पक्षी प्रेमी और पक्षी विशेषज्ञ भी केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में पक्षियों की प्रजातियों में बढ़ोतरी को एक शुभ संकेत मानते हैं।

वह जलवायु परिवर्तन को भी इसका कारण मानते हैं। उनके मुताबिक पक्षी जहां अपने अनुकूल जलवायु पाते हैं, उनकी रिहायश उस स्थान पर बढ़ जाती है।

कोरोना (corona) संक्रमण की वजह से लगाया lockdown भी पक्षियों की प्रजातियों के फलने-फूलने में एक अहम वजह माना जा सकता है।

इसकी वजह से जलवायु में बेहतर बदलाव देखने को मिला है, जिसका नतीजा पक्षियों की प्रजातियों में बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिला है। अब विशेषज्ञ इस तरह की परिस्थितियों के बने रहने को आवश्यक बताते हैं।

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